सदस्य जिला पंचायत के पिता की सामान्य मौत पर डॉक्टरों ने लिखा पोस्टमार्टम, सैफई में स्वजनों को रातभर भटकना पड़ा

इटावा(सैफई) -उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई में सामान्य परिस्थितियों में हुई मौतों पर भी पोस्टमार्टम लिखे जाने को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। ताजा मामले में जिला पंचायत सदस्य के 87 वर्षीय पिता की इलाज के दौरान हुई सामान्य मौत के बाद डॉक्टरों ने शव को मोर्चरी भिजवाकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी। इससे आक्रोशित स्वजनों को पूरी रात सर्दी में मोर्चरी के बाहर इंतजार करना पड़ा और मंगलवार दोपहर तक पुलिस व प्रशासनिक औपचारिकताओं में उलझे रहना पड़ा। मामला भरथना क्षेत्र के ग्राम नगला जाहरपुरा निवासी जिला पंचायत सदस्य डॉ. पुष्कर यादव के पिता जगदीश नारायण यादव पुत्र स्वर्गीय प्यारेलाल, सेवानिवृत्त प्रधान अध्यापक से जुड़ा है। सोमवार शाम करीब साढ़े चार बजे उन्हें उपचार के लिए उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के इमरजेंसी ट्रामा सेंटर लाया गया था। स्वजनों के अनुसार वे हृदय रोग से पीड़ित थे और घर पर चारपाई से फिसलकर गिरने से उनकी नाक में हल्की चोट लग गई थी। इलाज के दौरान सोमवार रात करीब नौ बजे उनकी मौत हो गई। इसके बाद चिकित्सकों ने कानूनी प्रक्रिया का हवाला देते हुए शव को मोर्चरी भिजवा दिया और पोस्टमार्टम लिख दिया। स्वजनों ने इसे सामान्य मौत बताते हुए पोस्टमार्टम कराने से इंकार किया और शव सौंपने की मांग की, लेकिन उनकी एक न सुनी गई।डॉ. पुष्कर यादव ने बताया कि उन्होंने पूरी रात अस्पताल प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन स्वजनों को मोर्चरी के बाहर ही बैठकर रात काटनी पड़ी। मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे संबंधित थाने की पुलिस मौके पर पहुंची, जिसके बाद पंचनामा की कार्रवाई पूरी की गई। उनका कहना है कि जब मौत पूरी तरह सामान्य थी तो स्वजनों को इतनी मानसिक पीड़ा क्यों दी गई। डॉ. पुष्कर यादव ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अजय सिंह से पूरे मामले की जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारियों व चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पहले ही दुख झेल रहे स्वजनों को अस्पताल, थाना और तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं, जो पूरी तरह अमानवीय है। यह कोई एक मामला नहीं है। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में सामान्य बीमारी से हुई मौतों पर भी पोस्टमार्टम लिखे जाने की शिकायतें आए दिन सामने आ रही हैं। विश्वविद्यालय में इटावा सहित मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, कन्नौज और औरैया समेत अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में बाहर से आए स्वजनों की परेशानी और बढ़ जाती है।

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