देहदान अत्यंत पुनीत कार्य, अवस्थी परिवार की पहल समाज को प्रेरित करने वाली है: डीन डॉ. दीपक सिंह मरावी

दतिया / देहदान जैसे पुण्य कार्य से एक बार फिर मानवता को नई दिशा मिली है। टीकमगढ़ के निवासी श्री आशुतोष अवस्थी ने अपने पिता श्री हरि विष्णु अवस्थी के निधन उपरांत पारंपरिक अंतिम संस्कार न करते हुए उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को शैक्षणिक और शोध कार्यों हेतु समर्पित किया।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. दीपक सिंह मरावी ने इस पुनीत कार्य के लिए अवस्थी परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि, “देहदान सबसे बड़ा दान है। इससे आने वाले डॉक्टरों को सजीव शरीर संरचना को समझने में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है। अवस्थी परिवार का यह निर्णय समाज के लिए प्रेरणादायक है।”
एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ समीर साठे ने बताया कि श्री अवस्थी का पार्थिव शरीर मेडिकल छात्रों की शारीरिक संरचना की शिक्षा हेतु प्रयोग में लाया जाएगा, जिससे अनेक भावी चिकित्सकों को लाभ होगा। अवस्थी परिवार का यह निर्णय समाज में एक नई चेतना जाग्रत करता है कि मृत्यु के पश्चात भी जीवन के उद्देश्य को सार्थक किया जा सकता है।
उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को दान करने से पूर्व मेडिकल के सभी चिकित्सकों, छात्रों, स्टॉफ व परिवार के द्वारा भाव भीनी श्रृद्धांजलि अर्पित करने के साथ, दो मिनट का मौन धारण कर ईश्वर से आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई एवं उन्हें गार्ड ऑफ हॉनर सम्मान भी दिया गया! इस दौरान मेडिकल अधीक्षक डॉ अर्जुन सिंह, डा.विवेक वर्मा, डा सुरेन्द्र बौद्ध, डा त्रिभुवन सिंह, डा. सचिन यादव, एवं मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक एवं छात्र उपस्थित रहे!

Please follow and like us:
Pin Share