आदर्श भगवान वह जो निंदकों से द्वेष और प्रशंसकों से राग नहीं करता ⇒ भावलिंगी संत दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज

सहारनपुर-22.08.2018 धर्मनगरी सहारनपुर में बीर नगर के जैन बाग जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे, दिगम्बर जैनाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महा मुनिराज ससंघ (30 पीछी) सानिध्य में धर्म श्रद्धालु दिन-प्रतिदिन बढ़-चढ़कर अपना-अपना सौभाग्य जगा रहे हैं। सहारनपुर वासियों को आचार्य भगवन् के द्वारा सुख-शान्तिमय जीवन जीने के दिव्य सूत्र प्राप्त हो रहे हैं।
समाज के श्रेष्ठी वर्ग का कहना है कि हमारा जन्मों-जन्मो का सातिशय पुण्य एकत्रित होकर आचार्य गुरुवर के विशाल संघ के रूप में हमें प्राप्त हुए हैं। आचार्य प्रवर और संघ की आराधना करके हम सभी अपने जन्म और जीवन को सफल कर रहे हैं।
प्रातःकाल की 08:00 बजे की “श्री भक्तामर महिमा शिक्षण शिविर में उपस्थित जन समूह के बीच दिव्य देशना प्रदान करते हुए आचार्य भगवन् ने कहा
बन्धुओ। हमें अपने आत्मा का हित करने के लिए एक ऐसे आत्मा की खोज करना होगी जिस आत्मा ने अपने अंदर से राम-देव मोह आदि समस्त विकारों को नष्ट करके आत्मा की परम अवस्था को प्राप्त कर लिया हो। जो अपने प्रशंसकों-पूजकों से प्रसन्न नहीं होता और अपने निंदकों से द्वेष-क्रोध नहीं रखता अपितु दौनों को तथा सम्पूर्ण समष्टि को आत्मा के ज्ञान-दर्शन गुण से मात्र जानते देखते हों। इन गुणों के धारी इस लोक में वीतराग, सर्वज्ञ, हितोपदेश गुणों से विभूषित आत्मा ही हो सकते हैं।
जो स्वयं अपनी आत्मा का पूर्ण हित कर चुके हैं अर्थात् निराकुल मोक्षसुख को प्राप्त कर चुके हैं ऐसे गुणमय भगवान ही हमारे आदर्श होना चाहिए। निश्चित ही हम जिन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके द्वारा दर्शाये गये मार्ग पर चलते हैं तब हम भी वही प्राप्त कर लेने हैं जो हमारे आदर्श प्रभु ने प्राप्त किया है।
जैन धर्म की विशेषता बताते हुए आचार्य श्री कहते हैं।
“जो वस्तु जैसी है उसे वैसी ही स्वीकारना, यही जैन धर्म है।” लोक में जीव नामक वस्तु (द्रव्य) है। हम और आप सब वही जीव द्रम हैं। ऐसे जीव द्रव्य सम्पूर्ण लोक में अक्षय-अनंत हैं। सबका जीव द्रव्य अपना-अपना स्वतंत्र है। कोई भी जीव किसी अन्य के द्वारा संचालित नहीं है। सभी जीव अपने-अपने कर्म अनुसार संसार में ही सुख-दुःख रूप फलों का भोग करते रहते हैं। सत्कर्म एवं धर्म के आश्वय से एक दिन कर्म से भी मुक्त होकर परम सुख को प्राप्त कर लेते हैं।
28 अगस्त से 06 सितम्बर तक आ रहे हैं- पर्वसज पर्युषण महापर्व । सहारनपुर में लग रहा है “उपासक धर्म संस्कार शिविर”

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