टोंक । गुरु के बिना जीवन व्यर्थ है ,गुरु के उपकार को भूलना नहीं चाहिए , प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज दिगंबर समाज के प्रथम आचार्य रहे हैं, वह चरित्र के भी चक्रवर्ती रहे हैं, उनके पिछले जीवन में रत्नत्रय का चक्र रहा। उन्होंने माता-पिता के आज्ञा का सम्मान कर उनके समाधि होने तक घर में रहकर धर्म की आराधना की, उनकी समाधि के बाद ही उन्होंने संन्यास लिया। इस वर्षायोग में प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का आचार्य पद शताब्दी महोत्सव भी वर्ष भर मनाया जाएगा। यह मंगल देशना वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने श्री आदिनाथ जैन मंदिर अमीरगंज नसिया टोंक में आयोजित धर्म सभा में प्रकट की।
राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि बहुत सौभाग्य से अच्छी वस्तु मिलती है और मनवांछित सामग्री मिलने पर बहुत खुशी होती है और भक्ति देखकर साधु को भी अच्छा लगता है इस चातुर्मास में अनेक पर्व आएंगे।
आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व आर्यिका श्री महायश मति माता जी ने प्रवचन में बताया कि आज रविवार को आचार्य श्री धर्मसागर पाठशाला के बच्चे अभिषेक पूजन करने के लिए आए और यह परंपरा सन 1970 से वर्तमान तक लगातार चल रही है। बचपन के संस्कार लाभदायक होते हैं। पूज्य माताजी ने प्रवचन में सात सारभूत बातों की विवेचना में बताया कि सभी को सत संगति,प्रभु भक्ति ,सेवा, दया ,ध्यान, दान और उपकार करना चाहिए। संगति अनुसार गुण और अवगुण दोनों प्राप्त होते हैं ,प्रभु की भक्ति से संसार समुद्र से पार हो सकते हैं ,आचार्य साधु परमेष्ठी की सेवा श्रद्धा पूर्वक करने से तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का बंध होता है। धर्म का मूल दया है ,आपको खाद्य सामग्री में शाकाहारी मांसाहारी पदार्थ का ध्यान रखना जरूरी है ।ध्यान से कर्मों की निर्जरा होती है। दान चार प्रकार के होते हैं ।भारतीय संस्कृति ने हमें देना सिखाया है परोपकार से पुण्य की प्राप्ति होती है इसलिए सभी को कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए गुरु चलते फिरते पावर हाउस हैं उनसे ज्ञान रूपी ऊर्जा मिलती है इसलिए गुरु का उपकार सेवा कर जीवन को अच्छा बनाना चाहिए।
समाज के धर्म प्रचारक प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार अनुसार धर्म सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य का चित्र का अनावरण दीप प्रवज्जलन समस्त टोंक की पाठशालाओं के बालक एवं बालिकाए,समस्त टोंक के पाठशाला के अध्यापक गण, समस्त टोंक के पाठशाला के संचालक गण, शांतिनाथ शांति धारा परिवार समिति बड़ा तख्ता जैन मंदिर टोंक द्वारा किया जाकर आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की इस मौके पर झाड़ोल से पधारे, कलाकार भाई गोरधन एवं सुनील सर्राफ के भक्तिमय भजनों पर बड़े भक्ति भाव से भक्ति नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं अष्टद्रव्य समर्पित किया ।
इस मौके पर आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों को रात में पानी के अलावा सभी पेय एवं खाद्य पदार्थ का त्याग देकर नियम दिलाया ।
जैन पत्रकार महासंघ कार्यकारिणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश जैन तिजारिया (जयपुर), राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्र जैन महावीर'(सनावद), राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन (जयपुर), राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुनील जैन ‘संचय’ (ललितपुर),
राष्ट्रीय मंत्री राकेश चपलमन (कोटा) अरुण जैन (जयपुर), निर्मल जैन (जयपुर) पधारे एवं आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लेकर 27 जुलाई 2025 होने वाली शांति समागम राष्ट्रीय पत्रकार संगोष्ठी पर चर्चा की ।
आज अनेक नगरों से श्रद्धालु दर्शन हेतु पधारे जिसमें गंगापुर सिटी, किशनगढ़, दौसा, केकड़ी, डिग्गी, जयपुर, सनावद, ललितपुर के श्रद्धालु भी शामिल रहे।
**आचार्य शांतिसागर शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत महेश कुमार, सानिध्य कुमार माधोपुरिया, महावीर कुमार, संतकुमार गोधा विजय नगर, निर्मल कुमार, योगेन्द्र कुमार फूलेता, महेंद्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार सर्राफ परिवार, ज्ञानचंद राजेंद्र कुमार खुरेडा परिवार ने कलश स्थापित किए।
इस मौके पर मीडिया प्रकोष्ठ रमेश काला ,कमल सर्राफ, नरेंद्र दाखिया, नीटू छामुनिया, पंकज फूलेता, ओम ककोड़, वीरेंद्र संघी, पंकज छामुनिया, राजेश शिवाड़िया, सुमित दाखिया, अम्मू छामुनिया, उमेश संघी, सुरेन्द्र अजमेरा, ज्ञान संघी, पुनीत जागीरदार, सोनू पासरोटियां, नरेंद्र अतार, मनोज बहड, राहुल पासरोटियां, मनीष अतार, अंकुर पाटनी, विकास अतार, अनिल सर्राफ, अनिल कंटान, प्रदीप बगड़ी आदि समाज के प्रतिनिधि मौजूद रहे।