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संत शहीदों की स्मृति में गंगादास जी की बड़ी शाला में भागवत कथा आरंभ

प्रथम स्वाधीनता संग्राम मे वीरांगना लक्षमी बाई की पार्थिव देह की रक्षा करते हुये बलिदान हुये पूरणबैराठी सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला के ब्रह्मलीन 745 संत शहीदों की पावन स्मृति में प्रतिवर्ष आयोजित होने बाली श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ बड़ी शाला के सभागार में पूर्ण वैदिक विधि विधान से हुआ। कथा प्रारम्भ होने से पहले श्रीमद भागवत जी की शोभायात्रा कलश यात्रा के रूप में शाला परिसर में निकाली गई। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद संत समाधियों और गद्दी का पूजन होकर व्यासपीठ और श्रीमद् भागवत जी का पूजन हुआ। इस बर्ष कथा के पारीक्षित श्री हनुमान जी महाराज होने से पूजन सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर श्री महंत श्री राम सेवक दास जी महाराज ने भक्त जनों के साथ किया।
कथा के प्रथम दिन कथा व्यास जी ने श्रीमद् भागवत महा पुराण के महत्व का बर्णन करते हुये कहा कि रामायण व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है वहीं श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति की मृत्यु को आनन्दमय बना देती है व्यक्ति के अन्दर से मृत्यु के भय को मिटा देती है अपनी मृत्यु के भय से भयभीत राजा पारीक्षित भागवत कथा सुनने के बाद प्रशन्नता पूर्वक अपनी मृत्यु का वरण करता है
कथा का प्रथम दिन होने से कथा संक्षिप्त रूप से पूरी की। आज कथा के दूसरे दिन शाम चार बजे कथा प्रारम्भ होगी। प्रथम दिवस की आरती में संत समाज के अलावा श्रीदस जी,नागाभजन जी,श्री नागा भगत दास जी,श्री राम दास जी,श्री सिया दुलारी शरण जी, घनश्याम दास जी पुजारी कैलाश नारायण जी,,श्री ब्रह्मदत्त दुबे जी, श्री पुरषोत्तम दास जी, अमित दुबे जी, श्रीमती मोनिका दुबे जी, श्रीमती प्रीति श्रीमती ममता कटारे जी ,श्री मोरली श्रीवस्त श्रीमती बबली शर्मा, मंजुला सिंह काँता कपरौलीया, आदि ने भाग लिया। बड़ी शाला के सभागार में कथा शाम चार बजे से रात्रि आठ बजे तक हौगी।

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