लंबित शिकायतों को किया दरकिनार
जीतेन्द्र परिहार ग्वालियर ! परिवहन आयुक्त मुख्यालय में अंततः शिकायत शाखा के प्रभारी की नियुक्ति कर दी गई ! बता दें कि उप परिवहन आयुक्त शिकायत दिलीप सिंह तोमर के स्थानांतरण के बाद से शिकायत शाखा का काम रुक गया था! जिसका आदेश जारी कर डीपी गुप्ता आयुक्त परिवहन ने अपने निज सचिव सत्य प्रकाश शर्मा को अतिरिक्त प्रभार दे दिया ! यानि अब से शर्मा शिकायत से संबंधित सभी नस्तियो को देखेंगे और परिवहन आयुक्त को प्रस्तुत करने का काम करेंगे!
मतलब साफ है कि जो भी शिकायत आएगी वह निज सचिव और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के बीच रहेगी और उन्ही के मुताबिक शिकायत का निराकरण किया जाएगा ! अब इसे परिवहन आयुक्त द्वारा निज सचिव पर कृपा समझें या सीसे में उतरना ? क्योंकि पूर्व में परिवहन आयुक्त रहे शैलेन्द्र श्रीवास्तव के बाद जो भी अधिकारी इस कुर्सी पर बैठा उसने गंभीर शिकायतों के कारण किसी न किसी तरह सत्य प्रकाश से दूरी बनाए रखी, इसके चलते आईपीएस बी मधुकुमार बाबू को पुराने वीडियो के वायरल होने के कारण न सिर्फ समय से पहले विभाग छोड़ना पड़ा बल्कि लंबे समय तक जांच का सामना भी करना पड़ा ! इसी तरह आईपीएस मुकेश जैन ने भी सत्यप्रकाश के खिलाफ मिली शिकायतों और फीडबैक के आधार पर शक्ति बरती थी, लिहाजा अपनी निष्पक्ष छवि के चलते समय से पहले उन्होंने विभाग को अलविदा कह दिया !
खैर परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता द्वारा अपने निज सचिव को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है तो इसके पीछे वजह भी महत्वपूर्ण ही रही होगी ? वैसे ईमानदार और निष्पक्ष छवि के बावजूद टी सी गुप्ता द्वारा लिए गए निर्णय से क्या यह माना जाए कि इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए विभाग में कोई अन्य काबिल अधिकारी नहीं है या फिर ज्वॉइनिंग के समय दी गई बड़ी -बड़ी दलीलें केवल दिखावे के लिए ही थी ! यह प्रश्न इसलिए भी है कि विभाग में नीचे से ऊपर तक सभी को मालूम है कि सत्यप्रकाश का जितना सर्विस पीरियड नहीं है उससे कहीं ज्यादा उनकी विभागीय और विभाग के बाहर जांचें लंबित है ! निश्चित ही विभाग में आने के साथ ही आईपीएस डीपी गुप्ता को भी विभागीय लोगों ने फीडबैक दिया होगा, जिसमें सत्यप्रकाश उनके लिए फिट बेठे और उसे निज सचिव के साथ ही शिकायत शाखा भी सौंप दी!
क्या पूर्व की ठेका प्रथा की फिर से है शुरुआत
विभागीय सूत्रों के मुताबिक श्रीवास्तव के आयुक्त रहते मैदानी अमले की तैनाती पूरी तरह कुछ चुनिंदा लोगों के हाथ में चली गई थी जो लंबे समय तक चलती रही, उस व्यवस्था में संबंधित अधिकारी केवल अपने हिस्से और बनाई गई सूची पर हस्ताक्षर तक सीमित रह गए थे! मजे की बात यह है कि उस टीम के मुख्य पात्र निज सचिव ही माने जाते थे! निज सचिव के साथ ही शिकायत शाखा की जिम्मेदारी सत्यप्रकाश को दिए जाने से तय है कि नवागत आयुक्त उनपर पूरी तरह मेहरबान है ! अब देखना होगा कि जांच की आंच का खेल आने वाले समय में क्या और किस तरह के गुल खिलाएगा!
शिकायत शाखा के रास्ते प्रवर्तन अमले पर कब्जा
जिस तरह से आयुक्त ने निज सचिव को शिकायत शाखा का प्रभारी बनाया है उससे फिलहाल तो यही प्रतीत हो रहा है कि टी सी और एडिशनल के बीच चल रहे शीतयुद्ध में शह और मात के खेल में निज सचिव को लाकर आयुक्त परिवहन ने बड़ी चाल चल दी है ! चर्चा तो यह भी है कि जिस तरह से शिकायत शाखा पर कब्जा किया है उसी तरह वह फिर से पुराने रोल में आकर छोटे साहब को पूरी तरह खाली हाथ बिठाने की तैयारी कर चुके हैं!