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पैसों की बर्बादी के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण में नाकाम जिम्मेदार वायु गुणवत्ता में भी इंदौर प्रदेश में अव्वल

ग्वालियर को मिला सबसे प्रदूषित शहर का खिताब

जीतेन्द्र परिहार

ग्वालियर । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बुधवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के माध्यम से कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के सात प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता को लेकर समीक्षा की गई। इनमें ग्वालियर में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है। टीम द्वारा कहा गया कि अगर समय रहते यहां के हालात नहीं सुधारे गए तो, दिल्ली जैसे हालात बन जाएंगे,वायु गुणवत्ता में ग्वालियर की स्थिति काफी खराब है। राष्ट्रीय और प्रादेशिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मिलकर मप्र के सात शहरों का चयन किया है, जहां पर वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। इसी को लेकर यह कार्यशाला आयोजित की गई है। कार्यशाला में इन सभी शहरों से प्रतिनिधियों बुलाया गया था। एनसीएपी के डायरेक्टर डॉ. प्रशांत गार्गव ने बताया कि जिन शहरों में वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, वहां काम किया जा रहा है। वायु गुणवत्ता में इंदौर का काम काफी बेहतर रहा है। कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वैज्ञानिक एन. सुब्रमण्यम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक पी. जगन, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इंदौर के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी आदि मौजूद थे। इसके साथ ही कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. मुकेश शर्मा ने ग्वालियर और मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने उज्जैन शहर का प्रेजेंटेशन दिया। ग्वालियर में वायु प्रदूषण के कारणों में जगह- जगह खुदी सड़के , शहर के आसपास की क्रेशर डस्ट एवं शहर में जारी निर्माण कार्यों की वजह से यहां की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। फंड आया मगर सुधार नहीं दिखा पिछले पांच साल से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के माध्यम से काम किया जा रहा है। इसके तहत इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर, सागर, देवास और उज्जैन शहर में 2019 से एनसीएपी द्वारा हवा में प्रदूषण को कम करने के लिए फंड जारी किया जा रहा है इसके बावजूद ग्वालियर की स्थिति में सुधार दिखाई नहीं दिया ।

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