सहारनपुर में भावलिंगी संत आचार्य विमर्श सागर जी महाराज ससंघ के चातुर्मास कलश की हुई स्थापना
उत्तर प्रदेश सरकार जल्दी देने वाली है आचार्य श्री संघ को राज्य अथिति का दर्जा
मुख्य कलश विमर्श सागर दिल्ली परिवार ने जबकि अन्य तीन कलश जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन उपाध्यक्ष विपिन जैन और तीसरा कलश अविनाश जैन नाटी उपमंत्री ने लिया
नगर विधायक राजीव गुंबर महापौर डाक्टर अजय सिंह ने अपने पार्षदों के साथ कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करा आचार्य श्री से लिया आशीर्वाद
परम पूज्य संघ शिरोमणि भावलिंगी एवं श्रमणाचार्य जैन संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज जी का आज 30 जैन संत और आर्यिकारत्न का श्री दिगंबर जैन मंदिर की में चातुर्मास कलश स्थापना दिवस भव्यता और उत्कृष्ट ढंग से धार्मिक परंपराओं और रीतियों के अनुरूप संपन्न हुआ।
सहारनपुर धरा वैसे तो उसे समय ही पवन हो उठी जब एक साथ 30 मयूर पीक्षिका का पदार्पण सहारनपुर नगर नगर में हुआ उनके दर्शनों का पुण्य अर्जन करने के लिए लाखों की संख्या में लोग उमड पड़े हर कोई उनकी आरती कर पद प्रक्षालण कर पुण्य को अर्जन कर लेना चाहता था। महिलाओं ने तो नृत्य कर संतों का अभिनंदन किया वही आज चातुर्मास कलश स्थापना दिवस पर सहारनपुर के श्रद्धालुओं की ही नहीं बल्कि नौ राज्यों से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र मध्य प्रदेश उत्तराखंड पंजाब आदि कई राज्यों से श्रद्धालु सुबह से ही आना शुरू हो गए थे और आचार्य श्री के जयकारों से वातावरण गूंजायमान हो उठा था।
लेकिन श्रद्धालुओं के माथे पर चिंता तब उभरी जब आसमान पर काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था कि इंद्र देवता भी अपनी प्रशंसता जाहिर करना चाहते हो लेकिन श्रद्धालुओं एक और में प्रार्थना की और देखते ही देखते काले बादल विलय हो गए। और सूर्य जो की बादलों के पीछे छिपा था चमक उठा।आपको बता दें कि सहारनपुर के इतिहास में यह पहली बार है जब 30 मयूर पिक्षिका एक साथ सहारनपुर के जैन मंदिर में विराजमान है। 30 जैन संत और आर्यिका रत्न का जैन बाग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर की में चातुर्मास कलश स्थापना का भव्य कार्यक्रम का प्रारंभ जैन संत के अगवानी तथा ध्वजारोहण से हुआ गुरु पूर्णिमा महापर्व के साथ सहारनपुर धर्मनगरी को विशाल संघ के साथ परम पूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य गुरुवर श्री 108 विमरसागर जी महामुनिराज (ससंघ ३० पीछी) का वर्ष 2025 का मंगलमय चातुर्मास कराने का महासौभाग्य प्राप्त हुआ। आज 10 जुलाई को जैनबाग प्रांगण में प्रातःकाल की मंगल बेला में गुरुपूर्णिमा महापर्व के साथ आचार्यसंघ के मंगलमय त्यातुर्मास की मंगलमय कलश स्थापना सम्पन्न हुई। विशाल धर्म सभा के मध्य मंगलाचरण द्वारा सभा आरंभ हुयी। चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन के साथ आचार्य गुरुवर के चरण कमलों का प्रक्षालन किया गया छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से पधारे “जिनागम पंधी यमन जैन” द्वारा । एवं शास्त्र भेंट दिल्ली से पधारे जिनागमपंथी टीनू जैन द्वारा किया गया।
उत्सव महोत्सव पूर्वक शुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अष्ट द्वयों द्वारा आचार्य गुरुवर की पूजन विभिन्न संस्थान संगठन एवं हजारों गुरु भक्तों द्वारा सम्पन्न की गयी।
परम पूज्य आचार्यश्री के संघ अनुशासन, वात्सल्य एवं निर्दोष चर्या से प्रभावित होकर दिल्ली कृष्णा नगर के जैन परिवार श्रीमान मूलचंद जैन की सुपुत्री सुश्री सिद्धि जैन एवं श्री मान उपेन्द्र जैन की सुपुत्री सुश्री ईशा जैन इन दोनों कुमारिय ने अपने घर-परिवार संसार से मोह त्यागकर आचार्य श्री की शरण में आत्य-समर्पण किया। आज गुरुपूर्णिमा महापर्व से ये दोनों ही बालिकायें त्याग-साधना पूर्वक अपना आगामी जीवन सार्थक करते हुए आध्यात्मिक ऊचाईयों को प्राप्त करेंगी।
मंगल कलश स्थापना की अनुमोदना करने सहारनपुर नगर के मेयर डॉ. अजय सिंह एवं नगर विधायक राजीव गुम्बर ने आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित होकर गुरुवर के श्री चरणों अपनी भाव नियोजलि समर्पित की। पूज्य आचार्य श्री ने दोनों ही राजनेताओं को अपना मंगल शुभाशीष प्रदान किया.. नगर विधायक राजीव गुंबर ने कहा कि आचार्य श्री का आशीर्वाद मिलना ही अपने आप में बहुत बड़ा सौभाग्य है और वह इसके लिए अपने भाग्य को सरहते हैं वह केवल अपने लिए ही नहीं अपने पूरे नगर के लिए अपनी पूरी जनता के लिए आशीर्वाद लेने यहां परआए हैं। महापौर डॉक्टर अजय सिंह ने आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल भेंट करते हुए कहा कि आचार्य श्री अपने त्याग ज्ञान के साथ-साथ अहिंसा परमो धर्म के लिए पूरे विश्व में पूजनीय है और अहिंसा परमो धर्म की आज केवल एक या दो व्यक्ति को नहीं पूरे विश्व को नितांत आवश्यकता है। जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा कि सहारनपुर के इतिहास में पहली बार जैन संतों का संघ सहारनपुर नगर मे आगमन हुआ है यह निश्चित ही यहां के प्रत्येक व्यक्ति के पुण्य का फल है कि हमें अपने ज्ञान की पिपासा शांत करने का अवसर मिला है ज्ञान रूपी गंगा हमारे नगर में है और हम चाहे इसमें डुबकी लगाकर कितना ही पुण्य अर्जन कर ले यह स्वयं हर व्यक्ति पर निर्भर करता है उन्होंने बाहर से आए सभी व्यक्तियों का सभी श्रद्धालुओं का अभिनंदनकिया। जैन समाज के संरक्षक और भाजपा के पूर्व महानगरअध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि यह बहुत बड़ा सौभाग्य है कि हमें अपने चक्षुओं से जैन संतों का त्याग तपस्या उनकी जीवनचार्य देखने को मिलती है और एक साथ इतना ही बड़ा संघ जिसमें जैन संत और आर्यिकारत्न सभी का आशी रावड़ा और धर्म की बातें सुनने का अवसर मिलेगा और निश्चित रूप से यह हमारी भाभी पीढ़ी के लिए बहुत सुनहरा अवसर है।
पूर्णिमा एवं मंगल कलश स्थापना पर आगन्तुक भक्त समूह स्थ विशाल धर्मसभा को मंगल आशीर्वाड देते हुए कहा आज गुरु पूर्णिमा महापर्व है। आज के दिन वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी को एक महान शिष्य इन्द्रभूति गौतम की गणधर परमेष्ठी के रूप में प्राप्ति हुई थी। तीर्थकर भगवान की दिव्य बिना मुख्य गणधर के नहीं खिरती है। वहीं दूसरी दृष्टि से देखें तो एक महा मिध्यात्वी अज्ञानी जीव ने अपने अज्ञानता को छोड़कर, मिध्यात्व को त्यागकर जगत् के महागुरु के रूप में तीर्थंकर प्रभु महावीर स्वामी को प्राप्त किया था इसीलिए मैं कहता हूँ कि आज तो यथार्थ में शिष्य पूर्णिमा है क्योंकि ‘आज एक भव्य प्राणी परमगुरु, महागुरु को पाकर पूर्णता को प्राप्त हुआ था। वे महागुरु महावीर स्वामी तो पूर्व से ही पूर्ण थे वास्तव में आज एक शिष्य परमगुरु को पाकर पूर्णता की प्राप्त हुआ था।
आज तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी परमगुरु एवं हमारे दीक्षा – शिक्षा प्रदाता परम पूज्य समाधि सम्राट चक्रवर्ती सूरिगच्छाचार्य गुरुवर श्री 108 विरागसागर जी महामुनिराज के चरण कमलों में अनंत गुण भक्ति सहित बंदन आराधन करते हैं।
आज गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने के लिए एवं सद्गुरु के चातुर्मात स्थापना की अनुमोदना करने के लिए देश भर से आये सभी गुरु भक्तों को भी मेरा मंगल- मंगल आशीर्वाद है।
आचार्य संघ के मंगल चातुर्मास का मुख्य कलश राजधानी दिल्ली के अनुभव-अनुराग जैन “अहिंसा विमर्श परिवार ” ने एक बड़ी राशि दान में लेकर स्थापित करने का महासौभाग्य प्राप्त किया जबकि अन्य तीन कलश पांच लाख पचपन हजार के हिसाब से जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन उपाध्यक्ष विपिन जैन चांदी वाले और तीसरा कलश अविनाश जैन नाटी लेने वाले सौभाग्य शाली बने जबकि अन्य 40 कलश 1 लाख 21 हजार के हिसाब से समाज के अन्य प्रमुख लोगों ने लिए आचार्य श्री ने अपने चार माह के प्रवास की सीमा 50 km. की निर्धारित की। आगामी चार माह में सहारनपुर के श्रावक-श्राविकायें विभिन्न प्रकार से ज्ञान-तप-आराधना में संलग्न रहेंगे। कार्यक्रम में 8 राज्यों से आए हजारों श्रावक श्राविकाए उपस्थित रहे।
सोनल जैन की रिपोर्ट