उत्तम संयम धर्म – मनोबल को बढ़ाने की अचूक औषधि संयम है। संयम धर्म के द्वारा साधक अनियंत्रित इन्द्रिय और मन पर नियंत्रण रखता है। षट्काय के जीवों की रक्षा करता है। उत्तम संयम धर्म मनुष्य को सामाजिक, नैतिक, धार्मिक एवं जिम्मेदार बनाता है। उत्तम संयम धर्म – संयम का अर्थ है संतुलन। संयम का अर्थ है मर्यादा। संयम का अर्थ है जीवन को नियंत्रित कर लेना। जन्म, मरण की अनादि परम्परा को तोड़ने का प्रमुख कारण है संयम। असंयम का अर्थ है परतंत्रता, गुलामी या दासता। संयम स्वतंत्रता का मार्ग है। संयम और असंयम दो प्रकार के होते हैं। इन्द्रिय असंयम और प्राणी असंयम। इन्द्रिय संयम और प्राणी संयम। पाँच इन्द्रियाँ और मन की गुलामी असंयम है और इन पर लगाम कस देना ही संयम है। पाँच स्थावर और त्रस इन छः निकाय के जीवों की हिंसा में प्रवृत्ति असंयम है और इन षट्काय के जीवों की रक्षा में प्रवृत्ति का नाम संयम है। जैसे बिना ब्रेक की गाड़ी एकमात्र दुर्घटना कराती है उसी तरह बिना संयम का जीवन भी मात्र दुर्घटना ही कराता है। जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व मे आज उत्तम संयम धर्म का दिन है |
सहारनपुर मे परम पूज्य भावलिंगी संत दिगंबर जैनाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज ससंघ (30 पीछी) के सानिध्य मे “उपासक धर्म संस्कार शिविर” मे जैन धर्मानुयायी भावशुद्धि के द्वारा अपने जीवन को कर रहे है सफल
उत्तम संयम धर्म मनुष्य को सामाजिक, नैतिक, धार्मिक एवं जिम्मेदार बनाता है- भावलिंगी संत श्री दिगम्बराचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज
