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धार्मिक अनुष्ठान मन को शान्ति प्रदान करते हैं-अंतसमति

ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर में चल रहा है 16 दिवसीय अनुष्ठान

मुरेना (मनोज नायक) मन की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान करना या उनमें सम्मिलित होना आवश्यक है । जिस प्रकार सूर्य के उदय से अंधकार नष्ट हो जाता है उसी प्रकार धार्मिक अनुष्ठानों से हमारे अशुभ कर्म नष्ट हो जाते है । विधान करने से कर्मो का क्षय होता है । विधान में हम अपने ईष्ट की आराधना करते हैं । धार्मिक अनुष्ठान करना, करवाना और उनकी अनुमोदना करना, तीनों क्रियाएं पुण्य प्रदान करती हैं । इससे हमारे पाप कर्म कम होते हैं साथ ही हमें पुण्य की प्राप्ति होती है । अपने इष्ट की नियमित पूजन, भजन, यशोगान, आराधना करने से हमारे मन के विकार कम होते हैं और हमें मानसिक शांति मिलती है । उक्त उदगार ज्ञानतीर्थ में विराजमान गणिनी आर्यिका श्री अंतसमति माताजी ने सोलहकारण विधान के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये ।
श्री ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर पर विराजमान ब्रह्र्मचारिणी बहिन मंजुला दीदी ने जानकारी देते हुए बताया कि परम पूज्य गुरुदेव सराकोद्धारक समाधिस्थ षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज एवं सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज के आशीर्वाद से गणिनी आर्यिका श्री अंतसमती माताजी ससंघ के पावन निर्देशन में सोलह दिवसीय सोलहकारण विधान का आयोजन 22 मार्च से 06 अप्रैल तक निरन्तर चल रहा है ।
गुरुभक्त परिवार के श्रावक श्रेष्ठि श्री योगेशकुमार जैन (खतौली वाले), श्री आनंद जी जैन (खेकड़ा), श्री भूषणकुमार अमित जी जैन, श्री वकीलचंद राजीवकुमार जैन दिल्ली, श्रीमती पारुल जी विपिन जी जैन दिल्ली, श्री रुपेश जी जैन (चांदी वाले) आगरा ने पांच-पांच दिन एवं श्रीमती नीलम जी जैन शाहपुर ने एक दिन के विधान की स्वीकृति प्रदान की है ।
ज्ञानतीर्थ पर प्रतिदिन प्रातः 08 बजे श्री 1008 जिनेन्द्र प्रभु का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन के पश्चात विधान प्रारम्भ होता है । विधान में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में साधर्मी बन्धु, महिलाएं इंद्र-इंद्राणी स्वरूप सम्मिलित होते हैं । विधान के मध्य पूज्य गणिनी आर्यिका श्री अंतसमति माताजी सभी भक्तों को एक एक श्लोक का अर्थ समझाती हैं । पूज्य आर्यिका गुरुमां प्रत्येक अर्घ का सुंदर विवेचन कर सभी का मन मोह लेती हैं । सोलहकारण विधान 22 मार्च को शुरू हुआ था और 06 अप्रैल तक निरन्तर चलता रहेगा । सोलहकारण विधान के आयोजन में पूज्य क्षुल्लिका आप्तमति माताजी एवं ब्रह्र्मचारिणी वहिन मंजुला दीदी का सहयोग सराहनीय हैं । श्री ज्ञानतीर्थ आराधक महा परिवार एवं सकल जैन समाज मुरेना ने सभी साधर्मी बन्धुओं से अपील की है कि अधिकाधिक संख्या में विधान में सम्मिलित होकर पुण्यार्जन करें ।

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