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होली भारतीय संस्कृति का त्यौहार है, अपनी बुराईयों को जलकर भस्म करों-: गणचार्यश्री पुष्पदंत

ग्वालियर-: धर्म की शक्ति दिखाने होली का त्योहार आता है। भारतीय संस्कृति में होलिका दहन का बहुत सम्मान मात्र पुरुष ही सम्मानीय नही नारी भी सम्मानीय है। पुरुष से ज्यादा सहन शक्ति नारी में है। नारियों आगे बढ़ाकर संस्कृति को बचाया है। सीता ने अग्नि परीक्षा देकर भारी गौरव बढ़ाया है और संस्कृति को बचाया। जीवन में सुख मिलता है और दुख झेलना पड़ते है। होलिका दहन से नारी को सम्मान के साथ साथ हिम्मत मिली है कई गुण यश मिला है। अग्नि में केवल आग ही नही है शीतलता भी है। अग्नि की लो हमेशा ऊपर जाने का संकेत करती है। अग्नि कहती है ईंधन को मत जलाओ अपनी बुराईयों को जलकर भस्म करों। अगरवत्ती जब जलती है तो बुराईयों के मच्छरों को भगाती है। आत्मिक प्रेम की सुगन्ध फैलती है। अच्छा दिखाना के लिए अच्छा दिखावा जरूरी है, अच्छा कार्य करना जरूरी है। यह विचार गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने आज मंगलवार को मुरार नगर मंगल प्रवेश के दौरान धर्मसभा के दौरान कही।
गणचार्यश्री ने कहा कि होली के अनेकों रंग कहते है, प्रेम संम्पूर्ण जीवन का मर्म है। भोजन अग्नि पर ही पकता है। धन देने वाले बहुत मिलेंगे मगर सच्चा प्रेम दर्शाने वाला लाखो में एक मिलेगा।फिल्मो की क्रीम पड़ अनेकों रंग जाते है। मगर जब फ़िल्म समाप्त होती है तब क्रीम साफ सफेद होती है। होलिया दहन में होलिया पर्व में यही दर्शाया है।होली पर कितना भी रंग लगाओ पर प्रेम का रंग शेष रहेगा। मधुर मिठाई ही खाने मिलेगी कितना भी रंग लगाये फिर भी कम लागत है। होली कहती है चाहे जलाओ चाहे रंग लगाओ में तुम्हारी होली आई,में हु होली। सब बुराइयां जलकर भस्म हो राख हो गई, जब पाप जल गये बुराइयां भस्म हो गई। पाप समाप्त हो गए। राष्ट्र प्रेम का रंग ही जीवन है, अपनत्व है आत्मीयता है व प्रेम का अमृतत्व है। गणचार्यश्री के चरणों मे सुभाषचंद्र जैन, महावीर जैन, शैलेन्द्र जैन, प्रमोद जैन, अजय जैन, अशोक जैन, मोहित जैन आदि ने श्री फल भेंटकर मंगल आशीर्वाद लिया ।
एक झूठ को छुपाने के लिए हजार झूठ बोलने पड़ते हैं -: आचार्य श्री सौरभ सागर
आचार्यश्री सौरभ सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सत्य का निर्णय करने में कठोर होना पड़ता है। कठोरता के बिना सत्य का निर्णय नहीं हो सकता। झूठ के कभी पैर नहीं होते। सत्य बोलने के अनेक तरीके नहीं होते। सत्य बोलने का एक ही तरीका होता है। सत्य बोलने में हमें कुछ याद नहीं रखना पड़ता। एक झूठ को छुपाने के लिए हजार झूठ बोलने पड़ते हैं। डर के व्यक्ति झूठ बोलता है। सच बोलने में डरने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
गणचार्यश्री ससंघ का गाजेबाजे के साथ मुरार में जैन सामाज के समाजजनों ने की अगवानी
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि गणचार्यश्री पुष्पदंत सागर महाराज, आचार्यश्री सौरभ सागर महाराज, क्षुल्लकश्री पर्व सागर महाराज ससंघ का सिटी सेंटर पटेल नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर से गाजेबाजे के साथ शुरू होकर यूनिवर्सिटी रोड थाटीपुर, शहीद गेट से होते हुए मुरार स्थित दिगंबर जैन मंदिर संत निवास में पहुॅचे। गणचार्यश्री ससंघ आगवानी मुरार जैन समाज के समाजजनो ने जगह जगह रंगोली सज्जाकर गणचार्यश्री ससंघ के चरणों का पादप्रक्षालन कर भव्य दीपकों से आरती उतार कर मंगल आशीर्वाद लिया। गणचार्यश्री पुष्पदंत सागर महाराज मुरार दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान रहेंगे।