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मेरे भारत की मांटी है चंदन और अवीर-सोम ठाकुर

सिद्धचक्र विधान के छठवें दिन 512 अर्घ समर्पित

मुरेना (मनोज नायक) श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के पावन मंच जैन बगीची में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । सभी कवियों ने गुरुमां गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी के श्री चरणों में श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया ।
राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्रेष्ठ गीतकार सोम ठाकुर की अध्यक्षता एवं आगरा से पधारे वीर रस के कवि दीपक दिव्यांशु के संचालन में सभी कवियों ने काव्य पाठ किया । कवि सम्मेलन के प्रारम्भ में नन्हीं नन्हीं बालिकाओं ने मंगलाचरण स्वरूप नृत्य पेश किया । आये हुए अथितियों द्वारा चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया । आयोजन समिति की ओर से सभी कवियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।
सर्वप्रथम सुश्री राणा जेवा ने माँ सरस्वती की बन्दना की । श्री गुढ़ाज़ी (राज.) के नमोकार जैन नमन ने जैन दर्शन पर सुंदर काव्य पाठ किया । आपने श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण पर काव्य पाठ करते हुए कहा-
हम उन्मादी नहीं मगर हम धर्मो के रखवाले हैं !
अभिनन्दन से वीर देश पर मरने मिटने वाले हैं !!
सरकारें अब भ्रम न पालें हमें झुका न पाएंगी !
सारी दुनिया देख चुकी हम कितने हिम्मत बाले है ।।
वीर रस के कवि राजवीर सिंह क्रांति ने मां के दूध पर देशभक्ति का संदेश देते हुए कहा कि
तुम्हारे प्यार का ऋण मां कभी भी चुक नहीं सकता ।
बढ़ाया जो कदम कदम वो रुक नहीं सकता ।
शहीदे सैनिकों की वे कसम हुंकार कर बोला ।
पिया है दूध जो तेरा तिरंगा झुक नहीं सकता ।।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए आगरा के दीपक दिव्यांशु ने कहा
हथेली पर वतन के वास्ते हम जान रखते हैं ।
लवों पर गीत बन्दे मातरम का गान रखते हैं ।।
रंगों में खोलता सा रक्त शव्दों में भी अंगारे ।
ह्रदय को चीर कर देखो तो हिंदुस्तान रखते हैं ।।
ग्वालियर के गीतकार रविन्द्र रवि ने बुजुर्गों के सम्मान को गम्भीरता से लेते हुए कहा
तू कलियों और फूलों की अदाएं साथ में रखना ।
जो देखे दूर तक ऐसी निगाहें साथ में रखना ।।
सफर कैसा भी हो पूछेगी खुद मंजिल पता तेरा ।
तू बस अपने बुजुर्गों की दुआएं साथ में रखना ।।
हास्य व्यंग्य के कवि अनिल बेधड़क ने कहा
मैं नहीं कहता किसी के थान को पूजो ।
मैं नहीं कहता पत्थर या श्मशान को पूजो ।।
पूजना चाहते हो मुक्ति के लिए आजन्म ।
मुक्ति के दाता भगवान महावीर को पूजो ।।
इसके साथ ही राणा जेवा, पुष्पराज जैन ने भी काव्य पाठ किया । अंत में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय मंच के फनकार गीतकार सोम ठाकुर ने गीत पढ़ते हुए कहा
मेरे भारत की माटी है चंदन और अवीर ।
सौ सौ नमन करूँ मैं भैया सौ सौ नमन करूँ ।
उत्तर अमरनाथ बसे दक्षिण रामेश्वर मन मोहें ।

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