Top Newsमध्य प्रदेश
युवा पीढ़ी में संस्कारों का बीजारोपण जरूरी है-स्वस्तिभूषण
सिद्धचक्र विधान के तीसरे दिन 64 अर्घ समर्पित

मुरेना (मनोज नायक) वर्तमान पीढ़ी युग परिवर्तन की प्रथम पीढ़ी है । यदि इसमें संस्कार डालने की कमी करदी तो आगे की हजारों पीढ़ियां संस्कार विहीन रह जाएंगी । पहिले संस्कारों पर ध्यान दिया जाता था, अब स्कूलों पर ध्यान दिया जाता है । आजकल के स्कूलों में बच्चों को संस्कार नहीं दिए जाते, सिर्फ लौकिक शिक्षा प्रदान की जाती है । आज की पीढ़ी में विनय औऱ संस्कार नाम मात्र को भी देखने नहीं मिलता । वर्तमान में ऐसे स्कूलों की आवश्यकता है जो बच्चों में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण कर सके । जिन बच्चों में भगवान के चरणों में झुकने के संस्कार नहीं हैं वह अपने माता-पिता के सामने कैसे झुक सकता है । उक्त उद्गार पूज्य गणिनी आर्यिका गुरुमां श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने जैन बगीची में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के दौरान धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये ।
जैन बगीची में चल रहे विधान के तीसरे दिन जैन साध्वी ने श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के सार को समझाते हुए बताया कि हम सभी अष्टाहिन्का पर्व में अनन्तानन्त सिद्धों की आराधना कर रहे है । सिद्ध भगवान ने आठ कर्म का नाशकर आठ गुणों को प्राप्त किया । गुण अनन्त होते हैं, जितने दोष है, उतने गुण हैं । आपके जितने दोष कम होते जायेगे, उतने गुण प्रकट होते जायेगे । इस हिसाब से देखा जाए तो आप भी गुणवान हैं । आपके अंदर भी अनेक गुण हैं । सप्त व्यसनों में आप जितने व्यसन नहीं करते हैं, आप में उतने गुण प्रकट हो जाएंगे । लेकिन बापस अवगुण न बन जाएं इस हेतु विशेष सावधानी बरतनी होगी ।
विधानाचार्य पंडित श्री संकेत जैन, देवेंद्रनगर ने बताया कि विधान के प्रथम दिन 16, दूसरे दिन 32 एवं तीसरे दिन 64 अर्घ श्री सिद्ध परमेष्ठी को अर्पित किए गए । प्रातः श्री जिनेन्द्र प्रभु के अभिषेक, शांतिधारा, नित्य पूजन के पश्चात विधान की पूजा प्रारम्भ हुई । श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान पुस्तक की अनुवादिका गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी को शिवपुरी निवासी प्रेमचंद विद्यादेवी जैन ने जिनवाणी भेंट की ।शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रवीणकुमार नवीनकुमार जैन (चैटा बाले) को प्राप्त हुआ ।चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन महेशचंद राहुल जैन (परीक्षा बाले) मुरेना ने किया । महाआरती का सौभाग्य श्री महेशचंद अजीत कुमार जैन (पलपुरा बाले) को प्राप्त हुआ । सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गणिनी आर्यिका श्री अंतसमति माताजी द्वारा तैयार नाटिका “मित्र हो तो ऐसा” की प्रस्तुति जैन बगीची के युवाओं और नन्हें नन्हें बालकों द्वारा की गई । जिसमें गौरव जैन, प्रिंस जैन का अभिनय सराहनीय रहा ।