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मुरार में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान में नृत्य करते हुए भगवान की वेदी की लगाई परिक्रमा भक्ति भाव के साथ किए 16 अर्घ समर्पित

ग्वलियर, 28 फरवरी । मुरार स्थित जैन धर्मशाला में चल रहे आठ दिवसीय श्री सिद्वचक्र महामंडल विधान में आज मंगलवार को भगवान अभिषेक किया गया तथा भगवान की शांतिधा की गई । विधान को पूजन करते हुऐ वहां मौजूद श्रृदालुओं जैन भजनों पर नृत्य किया। तदपश्चात पूज्य गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी के सानिध्य में एवं प. राकेश जैन के मार्गदर्शन में विधान की पूजा अर्चना की गई। जिसमें सिद्ध भगवान के गुणों के अष्टद्रव्य के 16 अर्घ अर्घ भक्तिभाव से जिनेन्द्र चरणोें में समर्पित किए गये। माताजी को को शास्त्र भेंट के एल जैन ने किया, एवं दीप प्रज्वलित लक्ष्मी गूर्जर, डॉ विकास गोयल एवं नेमीचन्द्र जैन के द्वारा किया गया। विधान के अंत में सभी श्रृदालुओं ने भक्ति नृत्य करते हुए भगवान की वेदी की परिक्रमा लगाई।
गाजे बाजों के साथ आई महाआरती- प्रवक्ता ललित जैन ने बताया कि सांयकाल आयोजन के तहत विधान में महायज्ञ नायक रमेश जैन बाबूजी, बॉबी जैन के निवास से महा आरती की थाली गाजे बाजों के साथ लाई गई, तदपश्चात आयोजन स्थल पर भगवान की महा आरती उतारी गई।
– संसार में दुख-दुख अपने ही भावों का परिणाम है
– धर्मात्मा होने के लिए विचारों की शुद्वता जरूरी है – आर्यिका आर्षमति माताजी
इस अवसर पर धर्म सभा को सम्बाधित करते हुए पूज्य गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी ने कहा कि मात्र भगवान के समक्ष द्रव्य अर्पित करने से या माला जपने से कोई धर्मात्मा नही होता, धर्मात्मा होने के लिए स्वयं के विचारों की शुद्वता अत्यन्त आवश्यक मनुष्य को जो भी दुख-पीड़़ा मिलती है वह उसके ही भावों और कर्मो का परिणाम है। तुम्हारे जैसे भाव होंगे वैसा जीवन होगा। आगम ने तुम्हे धर्म, सत्य को थर्मामीटर दिया है इसे लगाकर देखों कि तुम्हारे अंतरंग में क्या चल रहा है। माताजी ने कहा कि तुम संसार की प्रत्येक जानकारी तो रखते हो लेकिन तुम्हारे स्वयं के अंतरंग में क्या चल रहा है उससे अनजान हो। स्वंय के लिए कुछ समय तो निकालो और समीक्षा करों कि क्या वास्तव में मेरे विचार सात्विक है। जो लोग सारी जिन्दगी पूजा पाठ में निकाल देते है उनको भी सदगति नहीं मिल पाती, क्योंकि उन्होंने भावों की शुद्वता की ओर ध्यान नहीं दिया। बहुत कर ली बाहर की यात्रा, कभी अंतरंग की यात्रा का भी आनन्द लो। धर्म का पहला पाठ है मन को निर्मल बनाओ। आज मनुष्य बस जीए जा रहा है, ऐसा लगता है कि खाने के लिए ही जी रहा हो, तुम जीने के लिए खाओ। लोग ईन्द्रियों के विषय में सुख ढूंढते है। जबकि सच्चा सुख तो ईन्द्रियों की पूर्ती करने में नहीं बल्कि ईद्रियों को वश में करने में है।
आज 7 बजे होगा भगवान का अभिषेक – आयोजन के मीडिया प्रभारी ललित जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि बुध्रवार को प्रात 7 बजे से भगवान का अभिषेक पूजन होगा, आज विधान में भगवान के मूल गुणों के 32अर्घ समर्पित किये जायेगे।

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