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गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी-जीवन परिचय

तृतीय दीक्षा दिवस पर विशेष

भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रान्त में शमशाबाद (आगरा) के एक छोटे से गांव में 04 जनवरी 1981 को जैसवाल जैन उपरोचियाँ समाज के श्रावक श्रेष्ठी श्रीमान लखमीचन्द जैन के यहां माता श्रीमती किरणदेवी जैन की कुक्षी से एक बालिका का जन्म हुआ । बालिका के जन्म पर परिवार में खुशियों का माहौल था । गांव के पंडित जी ने बालिका की कुंडली बनाई और घोषणा करदी कि यह बालिका कोई साधारण बालिका नहीं हैं । जिस योग और नक्षत्र में इसका जन्म हुआ है, उसके अनुसार यह विश्व बंदनीय रहकर देश, धर्म एवं समाजोत्थान के कार्यो में संलग्न रहेगी । पंडित जी ने बालिका का नाम अ अक्षर से होना बताया । नामकरण के समय बालिका का नाम अल्पना रखा गया । लेकिन बालिका इतनी सुंदर, चंचल एवं नटखट थी कि सभी उसे प्यार से गुड़िया कहने लगे ।
गुड़िया की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई । गांव में शिक्षा की समुचित व्यवस्था न होने के कारण आपकी लौकिक शिक्षा कम ही रही । गुड़िया प्रारम्भ से ही सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए सदैव देव, शास्त्र, गुरु की आराधना एवं दिगम्बराचार्यों, साध्वियों की आहारचर्या, वैयावृत्ति में संलग्न रहती थी । गुड़िया को संयम के पथ पर चलने की प्रेरणा पारिवारिक माहौल से ही मिली । आपके ग्रहस्थ अवस्था के पिताजी मुनिश्री विज्ञान सागर जी महाराज, बड़े बाबा मुनिश्री श्रुतसागर जी महाराज, दादाजी क्षुल्लक श्री दयासागर जी महाराज ने संयम का मार्ग स्वीकार कर जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर मोक्षगामी बने । आपके चाचा जी मुनिश्री सर्वानन्द जी महाराज वर्तमान में अभिक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनन्दी जी महाराज के संघ में साधनारत हैं ।
गुड़िया का मन घर में नहीं लगता था । वह भी ग्रह त्यागकर संयम के मार्ग पर चलना चाहती थी । आपने सराकोद्धारक उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज के दर्शन कर, अपने मन के भाव व्यक्त कर, संघ में 23 जुलाई 2006 को प्रवेश किया । आचार्य श्री के संघ में साधनारत रहते हुए आपने 28 जनवरी 2008 को ब्रह्मचर्य व्रत एवं 25 अप्रैल 2013 को दो प्रतिमाएं स्वीकार कर संयम का मार्ग अंगीकार किया । आप गुड़िया से गुड़िया दीदी बन गईं । आपने अनेकों वर्षों तक छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी के संघ में रहकर शास्त्रों का गहन अध्ययन करते हुऐ आर्यिका दीक्षा देने का निवेदन किया । आपकी विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए पूज्य श्री ज्ञानसागर ज़ी महाराज ने 13 फरवरी 2020 को अतिशय क्षेत्र जहाजपुर में गुड़िया दीदी को आर्यिका दीक्षा प्रदान की औऱ आप गुड़िया दीदी से आर्यिका श्री आर्षमति माताजी बन गईं । पूज्य गुरुदेव की छत्र छाया आपको अधिक समय तक नहीं मिल सकी । दीक्षा के कुछ समय वाद ही आचार्य श्री ज्ञानसागर जी समाधि को प्राप्त हो गए । सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने 03 फरवरी 2022 को अतिशय क्षेत्र सिहोनियाँ जी (मुरेना) मध्यप्रदेश में गणिनी आर्यिका पद से विभूषित किया । आपके संघ में आर्यिका श्री अमोघमती माताजी, श्री अर्पणमति माताजी, श्री अंशमति माताजी एवं कंचन दीदी साधनारत हैं ।
आपका प्रथम चातुर्मास नलखेड़ा में, द्वितीय मुरेना में एवं तृतीय चातुर्मास ग्वालियर में प्रभावक धर्म प्रभावना के साथ सम्पन्न हुए हैं ।
गुरुदेव की समाधि के पश्चात उनके द्वारा छोड़े गए कार्यों को पूरा करने की आपके मन में अभिलाषा रही है । आपने सर्वप्रथम प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के उत्साहवर्धन हेतु प्रतिभा सम्मान समारोह का प्रथम ऐतिहासिक सफलतम आयोजन अतिशय क्षेत्र सिहोनियाँ जी में एव द्वितीय आयोजन ग्वालियर में कराया एवं इस आयोजन को भविष्य में कराने के लिए भी द्रंड़ संकल्पित हैं ।
तृतीय दीक्षा दिवस के अवसर पर गुरुमां गणिनी आर्यिका श्री 105 आर्षमति माताजी के चरणों में कोटि कोटि नमन ।

प्रस्तुति-
मनोज जैन नायक
मुरेना

 

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