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27वें दीक्षा दिवस पर विशेष : आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी-जीवन परिचय

मध्यप्रदेश के छिन्दवाडा (सिवनी) में 01 नवंबर 1969 को दिगंबर जैन परिवार के श्रावक श्रेष्ठी श्रीमान मोतीलाल जी जैन के घर श्रीमती पुष्पा देवी जैन की कुक्षी से एक तेजस्वी बालिका ने जन्म लिया । नाम रखा गया संगीता, लेकिन वह बालिका इतनी प्यारी, चंचल और सुंदर थी कि सभी उसे लाड़ प्यार से गुड़िया कहने लगे । बालिका गुड़िया को संगम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा परिवार से ही विरासत में मिली । आपके पिता क्षुल्लक श्री परिणाम सागर जी महाराज एवं माता क्षुल्लिका श्री अर्हंतमती माताजी वर्तमान में साधनारत हैं। कहते है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। उक्त कहावत को चरितार्थ करते हुये बालिका संगीता (गुड़िया) ने भी प्रारम्भ से ही देव शास्त्र गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हुये प्रतिदिन देव दर्शन एवं पूजा पाठ कर संयम की के मार्ग की ओर अग्रसर होने का भाव बनाये रखा । बालिका संगीता का बचपन से ही धर्म के प्रति लगाव व जैन साधु-साध्वियों की सेवा में ही अधिक समय व्यतीत होता था । पारिवारिक पृष्ठभूमि और बालिका संगीता का धर्म के प्रति उदारभाव उन्हें संयम के पथ पर बढ़ने से कोई रोक नहीं सका। पढ़ाई लिखाई में अम्बल बालिका गुड़िया ने एम. ए. (संस्कृत) तक शिक्षा प्राप्त की । संगीता ने प्राकृत, संस्क्रत, अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में विशेष योग्यता हासिल की । एक भाई व तीन बहिनों में दूसरे नम्बर की बहिन संगीता ने लौकिक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया । आचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के संघ में बृहचारिणी बहिन के रूप में रहकर संयम की साधना एवं शास्त्रों का गहन अध्ययन किया । आपने उत्तर भारत के प्रथम दिगम्बराचार्य श्री शांतीसागर जी
महाराज (छाणी) परम्परा के पंचम प‌ट्टाचार्य, सिंहरथ प्रवर्तक विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज से 24 जनवरी 1996 को कटनी (मध्य प्रदेश) में आर्यिका दीक्षा ग्रहण की और नामकरण हुआ आर्यिका स्वस्तभूषण माताजी ।
आर्यिका स्वस्त भूषण माताजी शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर की लगातार 121 बंदना कर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया
साहित्य सृजन-
विधान संग्रह, काव्य संग्रह, पूजन संग्रह, गद्य संग्रह- सब को समन्वित कर शताधिक विशेष कृति का प्रकाशन किया । जिनपद पूजांजलि ( समस्त जैन पूजा, पाठ, विधान, आरती, चालीसा, स्तोत्र का सरल भाषा में अनुवाद)
शुभकामना परिवार-
एक जनवरी 2009 को शुभकामना परिवार का शुभारम्भ दिल्ली स्थित बिहारी कॉलोनी से हुआ एवं अब तक सम्पूर्ण भारत में 300 से अधिक शाखाएं चल रही हैं । विशेष बात यह की नेपाल में भी शुभकामना परिवार का गठन हो चुका है।
प्रवचन विशेष –
कोटा राजस्थान में एक साथ 44 हज़ार मेडिकल एवं इंजीनियरिंग छात्र-छात्राएं प्रवेश परिक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को उद्वोधन दिया । भारत की अब तक अनेकों जेलों में कुल 2500 से अधिक कैदियों को जीवन परिवर्तन प्रदत प्रवचन, प्रवचन में ओज इतना की डिप्रेशन का मरीज़ भी खुद को ठीक होता पाने लगा ।
संस्कार शिविर प्रेरणा-
बाल साधना संस्कार शिविर, ज्ञान ध्यान शिविर, ध्यान योग शिविर, इस तरह से अभी तक शताधिक संस्कार रोपित करने वाले शिविर की प्रेरणा पूज्य माताजी देकर सफल बना चुकी हैं । इन समस्त शिविरों में अब तक अलग अलग 75 हज़ार से ज़्यादा शिविरार्थी भाग ले चुके हैं ।
कृत्रिम रचनायें-
पूज्य माता जी ने भारतवर्ष के अनेक नगरों में विभिन्न अवसरों पर धर्म प्रभवना हेतु श्री समवशरण, श्री सम्मेद शिखर जी, श्री कैलाश पर्वत एवं श्री पावापुरी जी की रचनाएँ करवायीं हैं।
युवा प्रतिभा
युवा प्रतिभा सम्मान समारोह एवं युवा सम्मेलन पूज्य माताजी अपने गुरु की राह पर निकल चुकी हैं, इस शृंखला में कुछ समय पूर्व ही देश की प्रतिभाओ के सम्मान हेतु युवा सम्मान समारोह का आयोजन शुरू करवाया । 13 मार्च 2021 को स्वस्तिधाम में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 3 बार गिनेस बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डॉ श्री उज्ज्वल पाटनी द्वारा यूथ सेमिनार आयोजित करवाई, जिसमें देश भर से 3500 से अधिक युवा सम्मिलित हुए ।
विभिन्न उपाधियाँ
परम् विदुषी लेखिका, काव्य रत्नाकर, युग प्रवर्तिका एवं 22 फरवरी सन 2020 में स्वस्तिधाम के प्रांगण में आचार्य श्री 108 शांतिसागर जी महाराज (छाणी ) परम्परा के षष्ट पट्टाधीश सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज द्वारा गणिनी पद से आरोहित किया ।
विशेष प्रेरणा-
अब तक 30 से अधिक मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं नवीन निर्माण की मंगल प्रेरणा दे चुकी हैं।
श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र स्वस्तिधाम, जहाजपुर राजस्थान-एक ऐसा महान अतिशय क्षेत्र जहां विराजित हैं भूगर्भ से प्रगटित अतिशयकारी चिंतामणि विघ्नहर सर्वारिष्ट निवारक श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान । जहां पूज्य गुरु की पावन प्रेरणा से भगवान को विराजमान किया गया है । विश्व के सबसे बड़े जहाज़ के आकार में बने मंदिर में इस जहाज़ मंदिर को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं । जिसमें गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडिया बुक रिकार्ड्स भी शामिल हैं।
श्री स्वस्तिधाम में नवीन जहाज मंदिर का पंचकल्याणक महोत्स्व 31 जनवरी 2020 से 7 फरवरी 2020 तक बहुत ही विशालता के साथ आयोजित किया गया । जिसमें एक दिन में सबसे ज्यादा प्रतिमाओं को सूर्य मन्त्र देकर प्राण प्रतिष्ठित कर पुनः गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम अंकित करवाया गया ।
यह पंचकल्याणक भी अपने आप में ऐतिहासिक साबित हुआ । देश की विभिन्न नामी हस्तियों ने अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाई । साथ ही एक दिन में 5 लाख से अधिक जनसंख्या एवं 8 दिवसीय कार्यक्रम में 15 लाख से भी अधिक लोग इस अंतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक के साक्षी बने ।
पूज्य माता जी अपने जीवन का एक भी क्षण व्यर्थ नहीं जाने देती हैं । धर्म मार्ग पर खुद तो चलती हैं एवं अब तक हजारों धर्म परायण महानुभावों एवं जन साधारण को नियमित मंदिर जाने हेतु, व् भक्तिमार्ग पर बढ़ने हेतु प्रेरित किया है।
गुरु माँ का अनमोल वचन जिसने सैंकड़ो जिन्दगियों में अमूल चूल परिवर्तन किया है-
जो मिला किसी से कम नहीं, जो नहीं मिला उसका गम नहीं
वर्तमान में पूज्य गुरुमां के निर्देशन में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन ज्ञानतीर्थ क्षेत्र मुरेना (मध्यप्रदेश) में 01 फरवरी से 06 फरवरी 2023 तक ऐतिहासिक श्री आदिनाथ मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव होने जा रहा है ।
सरल ह्र्दयी गुरुमां के 27वें दीक्षा दिवस पर स्वस्तिधाम प्रणेत्री, विदुषी लेखिका, भारत गौरव गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के चरणों में शत शत नमन !
प्रस्तुति-
मनोज नायक, मुरेना

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