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रामानंदाचार्य जी ने भवसागर पार करने के लिए बनाया शरणागत सेतु: मदनमोहन दास जी

सिद्धपीठ गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा से मनी जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी की जयंती

ग्वालियर। विद्वत वरेण्य संत प्रवर अखिल भारतीय निर्मोही अनी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीर समीर बंशीवट वृंदावन धाम के श्री महंत मदनमोहनदास जी महाराज ने कहा है कि भगवान श्रीराम ने सागर पर रामसेतु बनाया था लेकिन जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी ने भवसागर को पार करने के लिए शरणागति पुल बनाया। यह ऐसा दिव्य सेतु है जो आज भी है और जब तक दुनिया रहेगी तब तक यह सेतु रहेगा। यह सेतु राम के नाम के स्मरण उनके प्रेम का है उनकी शरणगति में जाने का है, जो भगवान की शरण में चला जाता है, उसका भवसागर से पार होना तय है।
संत प्रवर मदनमोहन दास जी शनिवार को सिद्धपीठ श्रीगंगादास जी की बड़ी शाला में जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के महंत पूरन वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवकदास जी महाराज ने की।
श्री मदनमोहन दास जी ने कहा कि वास्तव में जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी के रूप में भगवान श्रीराम ही पैदा हुए थे। जिस तरह श्रीराम जी ने दुष्टता का विनाश किया और धर्म की स्थापना की उसी तरह रामनदाचार्य जी ने समाज से मतभेद, जात पात खत्म करने परस्पर द्वेषभाव मिटाने का काम किया। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। उनकी परंपरा मे तुलसीदास जी और नाभादास जी जैसे संत हुए। कबीर रैदास जैसे संतों को उन्होंने दीक्षित किया। आज हम सब समाज से द्वेष भेदभाव जात पांत मिटाने का संकल्प लें, तभी उनकी जयंती मनाने का महत्व है।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में शाला के महंत स्वामी रामसेवकदास जी ने कहा कि स्वामी रामानंदाचार्य को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया। वे ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि – द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद। यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है। उन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे छुआछूत, ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया।इससे पूर्व शाला में संत महंतों ने स्वामी रामानंदाचार्य जी का अभिषेक और पूजन किया।

भागवताचार्य प्रेमानंद जी सम्मानित:
कार्यक्रम में भागवताचार्य श्री प्रेमानंद जी को उनके धार्मिक जागरूकता के लिए किए जा रहे कार्यों को रेखांकित करते शॉल श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री सियारामदास जी, रघुवीरदास जी, रामदास जी, धन्वंतरि दास जी,रामचरणदास जी प्रेमदास जी कैलाश अग्रवाल जी, माताप्रसाद शुक्ला, सहित धर्मप्रेमी लोग उपस्थित थे।

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