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विधि के विधान को कोई टाल नहीं सकता-ज्ञेयसागर

मुरेना (मनोज नायक) विधि के विधान को कोई टाल नहीं सकता और विधि का विधान क्या है, कोई जान भी नहीं सकता । ज्ञानतीर्थ का पंचकल्याणक पूज्य गुरुदेव सराकोद्धारक षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर ज्जि महाराज के पावन सान्निध्य में होना था । लेकिन समय से पहिले ही गुरुदेव समाधि को प्राप्त हो गए । उक्त बात ज्ञानतीर्थ पर मंगल प्रवेश उपरांत सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कही ।
श्री ज्ञानतीर्थ क्षेत्र मुरेना में दो दिगम्बराचार्यों का भव्य मंगल प्रवेश हुआ । परम् पूज्य सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ससंघ एवं पूज्य मुनिश्री विहर्षसागर जी महाराज ससंघ ने प्रातः कालीन वेला में कड़कड़ाती सर्दी एवं कोहरे के मध्य श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन ज्ञानतीर्थ क्षेत्र पर मंगल पदार्पण किया । श्री ज्ञानतीर्थ महा आराधक परिवार एवं मुरेना सकल जैन समाज के साथ पूज्य गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी, बा. ब्र. बहिन अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी, नगर निगम आयुक्त श्री संजीव जैन, बड़ा जैन मंदिर के मंत्री धर्मेंद्र जैन एडवोकेट, उद्योगपति पवन जैन ने घड़ियाल केंद्र देवरी पहुँचकर श्री आचार्य संघों की भव्य अगवानी की । घड़ियाल केंद्र से बैंड बाजों के साथ एक भव्य शोभायात्रा प्रारम्भ हुई । शोभायात्रा में साधर्मी बन्धु श्री जिनेन्द्र प्रभु की जय-जयकार करते हुये चल रहे थे ।
ज्ञानतीर्थ पर साधनारत बाल ब्रह्मचारिणी बहिन ललिता दीदी ने बताया कि ज्ञानतीर्थ के प्रवेशद्वार पर सौभाग्यशाली महिलाओं द्वारा सिर पर मंगल कलश रखकर, रंगोली और चौक बनाकर दोनों दिगम्बराचार्यों के पाद प्रक्षालन एवं आरती उतारकर भव्य अगवानी की ।
ज्ञानतीर्थ प्रवेश के पश्चात ललिता दीदी के मंगलाचरण से धर्मसभा का शुभारंभ हुआ । सर्वप्रथम बा.ब्र. बहिन अनीता दीदी ने अपने उदबोधन में कहाकि साधू-सन्तों के आगमन से जन जन में एक नई चेतना का संचार होता है । ज्ञानतीर्थ की पावन धरा पर दिगम्बर साधुओं का आगमन हम सभी के लिए अत्यंत पुण्य की बात है । धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने कहा कि इस भीषण सर्दी में जब अन्य लोग दिगम्बर साधुओं को विहार करते देखते है तो कहते है कि ऐसा कैसे होता है । हमें साधुओं से, गुरुओं से सदैव कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए । साधुओं और गुरुजनों की संगत और उनकी चर्या हमें सदैव कुछ शिक्षा देती है ।
अंत में मुनिश्री विहर्षसागर जी महाराज ने उपस्थित सभी साधर्मी बन्धुओं को आशीर्वाद देते हुए कहाकि पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी महाराज भौतिक देह से हमसे भले ही दूर हो गए हों, पर उनकी प्रेरणा, उनके सन्देश, उनके आदर्श और उनका आशीर्वाद सदैव हम सबके पास ही है । हम सभी को उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर, उनकी स्मृतियों को जीवंत बनाये रखना हैं ।