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दूसरों को खुश देखकर, स्वयं खुश रहें- भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी मुनिराज

भिण्ड ऊमरी ग्राम पधारे महामुनिराज । जीवन है पानी की बूँद ” महाकाव्य के मूल रचियता, ‘अखण्डता, मैत्री प्रेम, वात्सल्य की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए “जिनागम पंथ जयवंत हो” का नारा देने वाले, जिनशासन के सजग प्रहरी, आदर्श महाकवि भावलिंगी संत राष्ट्रयोगी आदर्श श्रमणाचार्य गुरुदेव श्री 100 विमर्श सागर जी महामुनिराज अपने चतुर्विध संघ 26 पीछी धारी साधु-साध्वियों के साथ ग्राम ऊमरी में पधारे। सम्पूर्ण ग्रामवासियों ने समीपस्थ बारा- कलाँ ग्राम पहुँचकर आचार्यश्री ससंघ के चरण में निवेदन किया। आचार्यश्री ने संसंघ विहार किया। समस्त ग्राम वासियों ने पलक-पाँवड़े बिछाकर, आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन कर गुरुवर की भव्यातिभव्य मंगल आगवानी की। आचार्यश्री पदविहार करते हुए श्री दिगम्बर जैन मंदिर में पधारे, वहाँ विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा- भव्य आत्माओ । यह भावना हमेशा किया किया करो कि हे भगवान! मैं कभी दूसरों के कष्ट में दुःख में निमित्त न बनूँ, मैं हमेशा सबकी प्रसन्नता में निमित्त बनूँ। आचार्यश्री ने अपनी मूल रचना “जीवन है पानी की बूँदै “सुनाते हुए कहा-
जीवन है पानी की बूँद, कब मिट जाए रे होनी अनहोनी; हो-हो- 2 कब क्या घट जाए रे ।।
जीवन एक खिलौना है, पुण्य जिसका बिछौना है। पाप यहाँ काटों का पथ, बीज धर्म के बोना है। सुख की बगिया ही, भव्यों को भाए रे ।।
जैन धर्म में तीर्थकर भगवंतों की दिव्य वाणी भव्य जीवों के कल्याण में निमित्त बनती है। इसके बिना “यह जीव संसार के दुःखों से नहीं छूटता है।
यह जीवन तो एक खिलौना है। एक खिलौना खुशी देता है जिससे बच्चे खेलते हैं और दूसरा खिलौना दुःखी करता है जिसे आतंकवादी उपयोग में लाते हैं। जन्म तो राम ने भी लिया, रावण ने भी लिया । राम ने घर से बाहर रहकर भी सबको गले लगाया लेकिन रावण ने घर में रहकर भी किसी को गले नहीं। लगा पाया। हम विचार करें कि हमें अपना जीवन कैसे जीना है, राम की तरह या रावण की तरह। १ इस दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं- एक वे जो दूसरों को खुश देखकर प्रसन्न होते हैं। दूसरे वे जिन्हें दूसरों को दुःखी देखकर प्रसन्न होते हैं। आप स्वयं अंदर झाँके कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। मैं यही आशीष दूँगा – कि आप स्वयं प्रसन्न रहें – और सबको प्रसन्न रखें।

भावलिंगी संत के पथरिया महोत्सव की ओर बढ़ते कदमों

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