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युग के श्रेष्ठ संत हैं गुरुवर विराग सागर जी मुनिराज

आचार्य विराग सागर जी का मनाया गया 40 वां मुनि दीक्षा दिवस , भावलिंगी संत श्रमणचार्य श्री विमर्श सागर जी महाराज

जिनागामा संप्रदाय के प्रवर्तक भावलिंगी संत आदर्श श्रमणाचार्य गुरुवर श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज धर्म की नगरी भिण्ड में विराजमान हैं। शुक्रवार 09 दिसंबर को आचार्य श्री ससंघ चैत्यला मंदिर से चलकर गुनाबाई – श्री शांतिनाथ जिनालय महावीर गंज पहुंचे। वहां भारी भीड़ के साथ परम पूज्य शुद्धोपयोगी संत सूरीगच्छाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज का 40वां मुनि दीक्षा दिवस मनाया गया। आचार्य श्री विरागसागर जी मुनिराज वर्तमान में पथरिया नगर, दमोह (मप्र) में निवासरत हैं। आचार्य श्री का 40वां संयम महोत्सव उनके शिष्यों और भक्तों द्वारा पूरे भारत में मनाया जा रहा है। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी मुनिराज ससंघ के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में श्री 1008 शांतिनाथ जिनालय महावीर गंज चौराहा में गुरुदेव का 40वां मुनि दीक्षा दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन किया गया। विनयंजलि को अर्पित किया गया। तत्पश्चात् गणाचार्य श्री विरागसागर जी मुनिराज की श्रेष्ठ उत्तम से उत्तम सामग्री महाअर्चना आचार्य श्री विमर्शसागर जी मुनिराज ने महापूजा की गई।
सम्पूर्ण भिण्ड समाज ने उत्साह उमंग के साथ नृत्यकरते हुए आचार्य श्री महापूजा कर अपने सौभाग्य का वर्धन किया ।
भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्शसागर जी मुनिराज ने अपने गुरुदेव आचार्य श्री विरागसागर जी मुनिराज के संस्मरण सुनाते हुए, अपनी विनयांजलि समर्पित करते हुए कहा- गुरु विराग संयम धारी, गुरु विराग करुणा धारी
अज्ञानी भावी जीवों को , गुरु विराग है उपकारी
संयम दीक्षा के हो हो – 240 चालीस पर्व मनायें रे ।। , परम पूज्य आचार्य गुरुबर ने जन्म लिया तो बाहर की आँख खुली और जब उन्होंने अपने अंदर की आँख खोली तब उनके जीवन में संयम प्रगट हुआ। उन्होंने अपनी अल्पवय में ही सभीके प्रेरणा स्रोत बनकर संयम को धारण किया। आचार्य गुरूवर ने अपने जीवन में प्रभु की परीक्षा की है, गुरु की भी परीक्षा की और शिष्यों की परीक्षा तो वे निरंतर करते ही रहते हैं। आपकी संयम की भावना भले ही अल्पवप में जागृत हो गई थी किन्तु उनके मनसूबे बहुत उच्च श्रेष्ठ थे। आपने बुढ़ार ग्राम में क्षुल्लक दीक्षा धारण की थी और वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी से औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में मात्र 20 वर्ष की आयु में संयम-मुनि दीक्षा धारण की थी। सन् 1992 में आपको आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया। आपको आचार्य विमल सागर जी के सभी शिष्यों में सबसे अधिक दीक्षा देने का गौरव प्राप्त है। गुरुदेव युग के श्रेष्ठ संत है और अभी अपनी जन्म भूमि पथरिया में विराजमान हैं। हम गुरुदेव के संयम की अनुमोदना करते हैं। 11 दिसम्बर, रविवार को निकलेगी विशाल बाईक रैली । 12 दिसम्बर को गुरुदेव का आचार्य पदारोहण | 13 दिलम्बा को शान्तिनाय दिव्यार्थना और 24 दिसम्बर को कीर्तिस्तय परिसर मे
25 वा रजत विमर्श संयमोत्सव मनाया जाएगा। छाएगा महा महोत्सव !

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