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धर्म का संबंध तर्क से नहीं समर्पण से है – प्रतीक सागर महाराज

भिण्‍ड/ मध्य प्रदेश शासन के राजकीय अतिथि क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने नसिया परिसर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा कि धर्म का संबंध तर्क से नहीं समर्पण से है जहां सब कुछ अर्पण हो जाता है वहीं से सब कुछ मिलना प्रारंभ होता है विज्ञान तर्क से चलता है धर्म समर्पण से चलता है समर्पण की भाषा ही परमात्मा के द्वार तक ले जाने की कुंजी है। अहंकार उठने नहीं देता है और स्वाभिमान गिरने नहीं देता है। मैं श्रेष्ठ हूं यह स्वाभिमान है मैं ही श्रेष्ठ हूं यह अभिमान है। रावण और कंस ने अभिमान के कारण सब कुछ गवां दिया और स्वाभिमान रखकर राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर ने सब कुछ पा लिया।
मुनि श्री ने आगे कहा कि समाज और परिवार में मिठास पैदा करने के लिए शब्दों को नवातला बोले, शब्द ब्रह्म है महापुरुषों ने नपा तुला बोला तो उनके बोल आज भी अनमोल बन गए। पानी और वाणी का मित व्यय होना चाहिए। वाणी जब मीठी होती है तो दो दिलों को जोड़ने का काम करती है वाणी में जब व्यंग होता है तो दो दिलों को तोड़ने का काम करती है इसलिए जीवन में शब्दों को गीत बनाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करें तीर बनाकर नहीं ।
मुनि श्री ने आगे कहा कि बुरा हो जाए तो दूसरे को दोष ना दें अपितु अपने कर्मों का उदय मानकर समता भाव से उसे स्वीकार करें। धर्मात्मा दूसरे को दोषी नहीं ठहरा था वह अपने आप को दोषी मानता है सीता को जब गर्भवती अवस्था में जंगल में छोड़ा गया तो सीता ने यही कहा था एक धोबी के कहने पर मुझे तो छोड़ दिया है, प्रभु राम से जाकर के कह देना किसी धोबी के कहने पर अपनी मर्यादा को ना छोड़ दें ।

धर्म सभा के प्रारंभ में पूज्य मुनि श्री के गुरुवर आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया गया।
क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज की विराट धर्म सभा शहीद चौक हाउसिंग कॉलोनी पर आज
क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज की 2 दिसंबर को विशेष धर्म सभा का आयोजन सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए विराट धर्म सभा के रूप में शहीद चौक हाउसिंग कॉलोनी में प्रातः 8:00 से 10:30 तक आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी धर्म और जाति के श्रद्धालुओं को मुनि श्री जीवन जीने के सूत्र प्रदान करेंगे। कार्यक्रम का प्रारंभ आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज का चित्र अनावरण कर किया जाएगा तथा इस अवसर पर मुनि श्री के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट आदि की मांगलिक क्रियाएं संपन्न होंगी।

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