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आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी का संयमोत्सव मनाया गया

राजाखेड़ा (मनोज नायक) परम पूज्य आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी का 15 वां संयमोत्सव समारोह जैन धर्मशाला राजाखेड़ा में धूमधाम से मनाया गया ।
संयमोत्सव समारोह के पावन अवसर पर आयोजित गुणानुवाद सभा में आर्यिका श्री सुयोग्य नन्दिनी माताजी ने अपने उदबोधन में पूज्य गुरुमां आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी की जीवन यात्रा व्रतांत सुनाते हुए बताया कि 2 अगस्त 1976 को मध्यप्रदेश के दमोह जिले के एक छोटे से ग्राम लकलका में मोक्षसप्तमी के दिन श्रावक श्रेष्ठी श्रीमान मन्नोलाल जी जैन के परिवार माँ श्रीमती विजयारानी जैन की कुक्षी से हुआ था । गुरुमां प्रारंभ से ही देव, शास्त्र एवं गुरु के प्रति श्रद्धावान थीं । आप बचपन में खेल खेल में ही अपने सहपाठियों को धर्मोपदेश दे देती थी । आपने परम पूज्य गुरुदेव अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनन्दी जी महाराज से सीकरी में 30 नबंवर 2008 को आर्यिका दीक्षा ग्रहण की । मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे ऐसी गुरुमां के चरणों में संयम साधना करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है । मैं आज जो कुछ भी हूं, वह गुरुमां की कृपा से ही हूं । गुणानुवाद धर्मसभा का कुशल संचालन करते हुए प्रतिष्ठाचार्य पं.राकेश जी शास्त्री “भूरा पंडित जी” आगरा ने अपने काव्य पाठ द्वारा सभी को आनन्दित किया ।
परम पूज्य अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनन्दी जी महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका सौम्य नन्दिनी माताजी के 15 वें संयमोत्सव समारोह के शुभारम्भ में मंगलाचरण कु.रिया, कु.श्रुति जैन राजाखेड़ा ने किया । चित्र अनावरण मुख्य अतिथि श्रीमान दीपक जी खंडेलवाल (डीएसपी-राजाखेड़ा) एवं श्री रतनसिंह जी (अधिशाषी अधिकारी-न.पा.राजाखेड़ा) ने एवं दीप प्रज्ज्वलन सर्वश्री राजीव जी पाटनी, नवीन जी दोराया, अनिल ज़ी दोराया, हीरा जैन, लबलेश बड़जात्या ने किया । आर्यिका सौम्य नन्दिनी माताजी का पाद प्रक्षालन का सौभाग्य श्री विनोदकुमार जैन मनियां, श्री सुरेन्द्रकुमार जी जैन दिल्ली एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्री हुकमचन्द जैन (नए बांस वाले) को प्राप्त हुआ । आर्यिका संघ को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सर्वश्री झम्मनलाल विजयकुमार जैन, त्रिलोकचंद रामकुमार जैन (समोने वाले), जगदीशचंद राजकुमारी जैन को प्राप्त हुआ । इस अवसर पर आर्यिका श्री वीर नन्दिनी जी, आर्यिका सुयोग्य नन्दिनी जी, श्रुत नन्दिनी माताजी सहित व्रह्मचारिणी बहिने मंचासीन थीं ।
आर्यिका माताजी के संयमोत्सव पर जयपुर, कोटा, आगरा, दमोह, टूंडला, मनियां, मुरेना, अजमेर, ग्वालियर के साथ साथ अनेकों शैलियों से गुरुमां के भक्तगण साधर्मी बन्धु उपस्थित थे ।