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पाषाण से भगवान बनाने वाला उपक्रम पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 31 अक्टूबर से 04 नवम्बर तक

रायपुर। दिगंबर जैन संत जो अपनी चर्या के लिये विश्वविख्यात हैं, जिनको चर्या शिरोमणी भी कहा जाता है, ऐसे आचार्य भगवन विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ विशाल संघ (22 साधुओं) का संस्कारधानी रायपुर की पावन धरा पर प्रथम बार ऐतिहासिक चातुर्मास सानंद संपन्नहुआ।
चातुर्मास के मध्य में आचार्य श्र ीविशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ ने नगर के सभी जिन मंदिरों एवं विभिन्न कॉलोनियों का भ्रमण किया। सभी धर्मात्माओं को गुरुओं की अमृतमयी वाणी (प्रवचन), आहार चर्या, वैयावृत्ती, नवदा भक्ती आदि के माध्यम से पुण्यार्जन करने का अनूठा अवसर प्राप्त हुआ।
इसी क्रम में जैन समाज के परम सौभाग्य से आगामी विभिन्न आयोजन संपन्न होने जा रहे हैं।
पाषाण से भगवान बनाने का उपक्रम पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 31 अक्टूबर से 04 नवम्बर तक
दिगम्बर जैन समुदाय में तीर्थंकर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है, भगवान तो सिद्धत्व को प्राप्त कर चुके हैं, परन्तु उनके साक्षात प्रतिबिंब भगवान की प्रतिमा पूज्नीय है, इसलिये विभिन्न जिनालयों में तीर्थंकर जिनदेव की प्रतिमा स्थापित की जाती है, रायपुर गोल बाजार,स्थित चूड़ीलाईन में 110 वर्ष प्राचीन जिनालय को नवीन रुप दिया जा रहा है, जो कि अब श्री 1008 चन्द्रप्रभ् सदोदय तीर्थ दिगंबर जैन मंदिर के नाम से जाना जाएगा जिसमें नवीन जिनबिंब की स्थापना की जा रही है, जिसक ापंचकल्याणक महोत्सव दिनांक 31 अक्टूबर से 04 नवम्बर 2022 तक फाफाडीह गली नं.4 स्थित श्री सन्मति नगर दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में होना सुनिश्चित हुआ है।
इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में:-
दिनांक 31.10.2022 को भगवान की माता की गर्भ कल्याणक की क्रियायें संपन्न होंगी
दिनांक 01.11.2022 को भगवान के जन्म कल्याणक की क्रियायें संपन्न होंगी
दिनांक 02.11.2022 को भगवान के तप कल्याणक की क्रियायें संपन्न होंगी
दिनांक 03.11.2022 को भगवान के ज्ञान कल्याणक की क्रियायें संपन्न होंगी
दिनांक 04.11.2022 को भगवान मोक्ष महापद को प्राप्त होंगे।
पिच्छी का परिवर्तन समारोह दिनांक 05-11-2022 को
दिगंबर मुनिजीवों के रक्षा के लिए संयम का उपकरण मयूर पिच्छी अपने साथ में रखते हैं, शास्त्रों में वर्णन है कि मोर का पंख इतना कोमल होता है कि इससेें किसी जीवका घात नहीं होता इसलिए जीवों की रक्षा एवं मार्जन के लिए दिगंबर मुनि पिच्छी का प्रयोग करते है, वर्ष भर प्रयोग के बाद जब पिच्छी की कोमलता वैसी नही रहती जैसी प्रारंभ में थी, तो मयूर पिच्छी से कढ़ेपन से कही जीवों घात न होने लगे, इसलिए दिगंबर संत वर्ष में एक बार अपनी पिच्छी परिवर्तित कर नवीन मयूर पिच्छी ग्रहण करते हैं तथा पुरानी पिच्छिका संयमी परिवार को प्रदान करतें हैं, यह आयोजन दिनांक 05-11-2022 को मध्यांह 2 बजे संपन्न होगा।भव्य दिगंबर जैनेश्वरी दिक्षाए ंदिनांक 06 नवम्बर 2022 को
रायपुर के इतिहास में प्रथम बार 22 साधुओं के मध्य 3 बाल बह्मचारी भैया जियो की दिगंबर दीक्षा होने जा रही है, जिनके दीक्षा प्रदाता आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज स्वयं अपने करकमलों से ब्रम्हाचारी सौरभ भैया( परतबाड़ा) ब्रम्हाचारी निखिल भैंया (छतरपुर) ब्रम्हाचारी विशाल भैंया (भिण्ड) को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करेंगे, जिसमें हजारों की तादाद में भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतो के लोग, विभिन्न संप्रदायों के साधु-साध्वी उपस्थित होकर इस राग से वैराग्य की ओर अग्रसर होने वाले दीक्षार्थियों की दीक्षा के साक्षी बनेंगे। यह आयोजन दिनांक 06 नवम्बर 2022 को मध्यान 2 बजे विशुद्ध देशना मण्डप फाफाडीह गली नं.4 में ही संपन्न होगा।