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धीरज सिंह गुर्जर को मिली पी-एच.डी. उपाधि

भिंड नगर के उत्कृष्ट विद्यालय में पदस्थ राष्ट्रपति सम्मानित शिक्षक धीरज सिंह गुर्जर को हिंदी विषय में जीवाजी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी (पी-एच.डी.) की उपाधि प्रदान की गई है। धीरज ने जीवाजी विश्वविद्यालय से शासकीय के.आर.जी.कॉलेज ग्वालियर की प्राध्यापक डॉ सुधा कुशवाह के मार्गदर्शन में “वर्तमान समाजार्थिक परिवेश में रामचरितमानस में चित्रित मूल्यों की प्रासंगिकता” विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया था।
श्री गुर्जर ने बताया कि बचपन से ही उनकी मानस में रुचि रही है। हमारी सनातन भारतीय संस्कृति के अनुसार आज जिस आचार- विचार, व्यवहार- बर्ताव, रहन -सहन, प्रेम-दया-करुणा,सहयोग, त्याग- संयम- परोपकार और सामाजिक समरसता की जरूरत है,वे सभी बातें आदर्शरूप में रामचरितमानस में उल्लिखित है। आज का मानव इन मूल्यों से भटक रहा है।आज का समाज आस्था संकट,मूल्यहीनता और नैतिक पतन के दौर से गुजर रहा है। भौतिक चकाचौंध और विलासिता की अंधी दौड़ में अपने शाश्वत मूल्यों को भुला बैठा है,उनकी पुनर्स्थापना करना जरूरी है,तभी समाज और व्यक्ति सुखी रह सकता है।
जीवनमूल्यों का प्रयोजन जीवन की सार्थकता और सफलता के लिए अनिवार्य है क्योंकि मूल्यों को अपनाए बिना व्यक्ति,समाज और राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है। आज के परिवेश में बिखरते- टूटते, पति-पत्नी,पिता-पुत्र,भाई – भाई के बीच बढ़ता तनाव,वैमनस्यता,भ्रष्टाचार, दुष्कृत्य,धोखाधडी के मामले बढ़ते जा रहे है। रामचरितमानस के माध्यम से मूल्यों की अवधारणा को वर्तमान सामाजिक- आर्थिक परिप्रेक्ष्य में उद्घाटित कर जनमानस को समस्त बुराइयों से बचाया जा सकता है। मानस में उल्लिखित जीवन- आदर्श और उदात्त मूल्यों के अनुप्रयोग से सुंदर एवं सुःखद समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है।
धीरज सिंह गुर्जर की इस उपलब्धि पर विद्यालय परिवार एवं इष्टमित्रों ने हर्ष व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं प्रेषित की है।

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