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पर्यूषण पर्व के आठवें दिन धर्मावलंबियों ने उत्तम त्याग धर्म का गुणगान किया
त्याग साधु संतों का धर्म है, और दान श्रावक का धर्म है-मुनिश्री विनय सागर

ग्वालियर- संसार में कोई भी व्यक्ति तब तक सुखी नहीं हो सकता जब तक उसको किसी भी चीज की आकुलता है और आकुलता तब तक नष्ट नहीं हो सकती जब तक उसके पास कुछ भी परिग्रह है। इसलिए परम सुखी होने के लिए त्याग की आवश्यकता होती है। हमें परिग्रह का त्याग करना चाहिए। पूर्ण परिग्रह का त्याग ही दिगम्बर मुनिचर्या का आधार है। उक्त उद्गार पर्युषण पर्व के आठवें दिन बुधवार को उत्तम त्याग धर्म पर श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने साधनमय वर्षायोग समिति व सहयोगी संस्था पुलक मंच परिवार ग्वालियर एवं मुख्य संयोजक मनोज जैन, जैन कॉलेज के तत्वावधान में माधवगंज स्थित चातुर्मास स्थल अशियाना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि त्याग साधु संतों का धर्म है, और दान श्रावक का धर्म है। संसार में सभी धर्म को मानने वाले लोग दान की बात को स्वीकार करते हैं। दान चार प्रकार के होते है औषधि दान, आहार दान,अभय दान और ज्ञान दान। साथ ही आज के युग में मनीषियों ने एक पांचवा दान करूणा दान को माना है। यह दान सभी प्रकार के दान में आता है। किसी निर्धन की सेवा करना, रोगी का इलाज कराना, भूखे को भोजन कराना और असहाय को सहारा देना यह सब करुणा दान में आता है। दीन दुखी,अनाथ, विधवा, साधर्मी भाई-बहनों की गुप्त सहायता करते रहना गृहस्थ का सबसे बड़ा धर्म है। गुप्त दान का फल बहुत मिलता है इससे न तो लेने वाले को संकोच होता है न तो देने वाले को अभिमान होता है। दान देने वाला कभी दरिद्र, गरीब नहीं होता, उसका भंडार सदा भरपुर रहता है। अपनी शक्ति के अनुसार प्रत्येक मनुष्य को कुछ न कुछ दान अवश्य करते रहना चाहिए। पता नहीं यह आयु कब समाप्त हो जाए। यह त्याग धर्म हमें इसी नियम से अवगत कराता है।
इंद्रो ने जाप देकर किया भगवान का अभिषेक, त्याग धर्म की महिमा के गुणगान कर चढ़ाये महाअर्घ्य ।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विनय सागर महाराज व पंडित ज्योतिषाचार्य हुकुमचंद जैन के मार्ग दर्शन में इंद्रो ने संगीतमय भगवान जिनेंद्र का जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनिश्री ने अपने मुखबिंद से भगवान जिनेंद्र की शांतिधारा वीरेंद्र जैन बाबा, हुकुमचंद जैन एवं कमलेश जैन परिवार ने की। इंद्रा – इंद्राणियो ने पीले वस्त्र धारण कर उत्तम त्याग धर्म व भक्तामर विधान का गुणगान कर पूजन संगीतमय भजनों की भक्ति नृत्य करते हुए भगवान के समक्ष महाअर्ध्य समर्पित किए।
09 पालकी शोभायात्रा, 10 व्रतधारियों का सामूहिक पाड़ना एवं 11 को सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम होगा।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि पूज्य श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में 09-सितम्बर शुक्रवार
प्रातः 6.00 बजे श्रीजी शोभायात्रा दि. जैन मंदिर, माधवगंज से प्रारम्भ होकर चतु्र्मास स्थल पहुंचेगी। जहाँ पर श्रीजी अभिषेक के बाद भगवान वासुपूज्य का मोक्षकल्याणक महोत्सव पर निर्वाण लाडू चढ़ाया जावेगा। वही 10 सितम्बर शनिवार प्रातः 9 :30 बजे से व्रत करने वाले श्रावक, श्राविकाओं का सामूहिक पाड़ना कराया जाएगा। वही 11 सितम्बर रविवार प्रातः 09 बजे से मुनिश्री का पाड़ना होगा। दोपहर 03 बजे से क्षमावाणी पर श्रीजी के कलशभिषेक के बाद सामूहिक रूप से क्षमावाणी बनाई जाएगी।