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संयम धर्म मनोरंजन का नहीं पुण्य का दिन है:विज्ञमती
पर्युषण पर्व के छठवें दिन उत्तम संयम धर्म की व्याख्या की

ग्वालियर, 5 सितंबर। संयम यानी स्वयं की इच्छाओं पर नियंत्रण करना संयम कहलाता है। इसमें आपके राग का सिलसिला खत्म होकर वैराग्य का भाव जाग्रत होना चाहिए। संयम धर्म का दिन बंधन का दिन भी होता है। यह दिन मनोरंजन का नहीं पुण्य का दिन होता है। इसलिए धर्म से प्रेरित होकर संयम को धारण करें, यही आपकी रक्षा करेगा। यह उदगार सिद्धांत रत्न, भारत गौरव गणिनी आर्यिकाश्री विशुद्धमती माताजी की परम शिष्य पट्ट गणिनी आर्यिकाश्री विज्ञमती माताजी ने सोमवार को चम्पाबाग बगीची में पर्वराज पर्युषण के छठवें दिन उत्तम संयम धर्म की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए।
माताजी ने बताया कि इस धरती पर ऐसी भव्य आत्माएं हुईं, जिन्होंने संयम को चारित्र्य में बदल कर मोक्ष की प्राप्ति की। जब बेटा अपने माता-पिता से भीख मांगकर कहता है कि मेरे अंदर संयम का बीज उत्पन्न हो गया है, मुझे मोक्ष मार्ग पर जाने की आज्ञा दीजिए, तो उसे रोकना नहीं चाहिए। जब बेटा ने दीक्षा ली तो उसके माता-पिता ने कहा, रास्ता तो यही सही है, फिर भी जो इच्छा हो, वही मार्ग अपनाओ। माताजी ने कहा कि संयम धर्म के दिन साधना की आराधना कर अंतस की चेतना जाग्रत करना है, लेकिन ये मार्ग बहुत कठिन है। इस पर सोकर नहीं जागकर चलना पड़ता है। इसमें रिश्ते जोड़कर नहीं तोड़कर आगे बढ़ना पड़ता है। जिस घर को तुम छोड़कर जा रहे हो, वह सच्चा घर नहीं है। सच्चा घर तो तुम्हारा आत्मग्रह है। उसके माध्यम से ही अपनी मंजिल तक पहुंच पाओगे।
संयम के बिना लक्ष्य प्राप्त नहीं होता:विकर्षमती
धर्मसभा के आरंभ में आर्यिकाश्री विकर्षमती माताजी ने कहा कि क्रोध, मान, माया, लोभ, झूठ का त्याग और क्षमा तथा विनम्रता को अपनाने के बाद भी जीवन में बदलाव नहीं आया। इसलिए जीवन को सफल बनाने के लिए संयम धारण करो। संयम के बिना जीवन में कुछ नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जीवन में संयम जरूरी है। माताजी ने बताया कि बंधन के बिना जीवन व्यर्थ है। उसी प्रकार बिना तट की नदियों का पानी बह जाने से वह सूख जाती हैं और आगे जाकर सागर में नहीं मिल पातीं तो महासागर कैसे बनेंगी। इसलिए जब जीवन पर नियंत्रण नहीं होगा तो सही मार्ग नहीं मिलेगा। माताजी ने बताया कि जिस प्रकार घोड़े को लगाम, हाथी को अंकुश, ऊंट को नकेल, गाड़ी को नियंत्रित करने के लिए ब्रेक जरूरी होते हैं, उसी प्रकार अपने जीवन में लगाम रूपी संयम धारण करना जरुरी होता है।
महिला मंडल ने दी नृत्यों की प्रस्तुति
जैन समाज के प्रवक्ता ललित जैन ने बताया कि सुबह मनोज सेठी परिवार ने भगवान की शांतिधारा की। सौधर्म इंद्र विमल कुमार जैन, पूजा जैन, मनोज सेठी आदि ने दीप प्रज्वलित किया। रात्रि में दिगंबर जैन स्वर्ण मंदिर महिला मंडल ने भक्ति नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुति दी।