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दिगंबर जैन मंदिरों में दसलक्षण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की आराधना पूजन हुई

छल कपट को छोड़ सरलता का भाव आ जाना ही आर्जव धर्म है-: मुनिश्री

ग्वालियर-छल-कपट मायाचारी से रहित धर्म ही उत्तम आर्जव धर्म है। किसी व्यक्ति का क्रोध एवं अहंकार का तो आसानी से पता चल जाता है, लेकिन मायाचारी किसी को दिखाई नहीं देती है। हम जैसे हैं, वैसे ही प्रस्तुत होना आर्जव धर्म है। जिसने आर्जव धर्म को समझ लिया, वह सबकुछ समझ गया। कपट को छोड़ सरलता का भाव आ जाना ही उत्तम आर्जव धर्म है। उक्त उद्गार पर्युषण पर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को उत्तम आर्जव धर्म पर श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने साधनामय बर्षयोग समिति, सहयोगी संस्था पुलक मंच परिवार के तत्वावधान में माधवगंज स्थित चतुर्मास स्थल अशियाना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

मुनिश्री ने कहा कि छल कपट से मनुष्य का जीवन दुखमय हो जाता है। जीवन में सुख-शांति चाहने वाले प्राणी को सदैव जीवन को छल कपट, ईर्ष्या, द्वेष आदि विकारों से रहित रखना चाहिए। जो बात मन में है, उसे ही वचन द्वारा प्रकट करना आर्जव है और उसके विरुद्ध मायाचार है, अधर्म है। अपनी मन: स्थिति को व्यक्त करना शुभ है, मन की बात छिपाकर बनावटी बात मुंह से कहना अशुभ का संकेत माना गया है। धर्म में प्रवेश करने के लिए इस मायाचार से मुक्त होना आवश्यक है। मायाचारी अपने कपट व्यवहार को कितना ही छिपाए, देर-सबेर वह प्रकट होता ही है। आर्जव धर्म का ध्येय है कि सभी को सरल स्वभाव रखना चाहिए, मायाचारी त्यागना चाहिए।

रात्रि महिलाओ ने सामूहिक नृत्य, फैंसी ड्रेस में बच्चे, मुनिश्री, आर्यिकाश्री बनकर आए, देखकर तालियां गूंजी..।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि शाम को जैन समाज के लोगो ने भगवान जिनेंद्र एवं मुनिराजों की दीपो से उतारी आरती। वही सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओ ने सामूहिक भजन पर नृत्य किया। पर्यूषण पर्व पर चातुर्मास समिति ने की ओर से बच्चो की फैंसी ड्रेस में 0 से 08 ओर 08 से ऊपर साल के बच्चे महावीर, चंदलवाल, राजुल नेमी, पूजन साम्रगी, दसधर्म, नाग नागिन, आदि सज्जाधज ड्रेसकोर्ट में आए। बच्चों की शानदार प्रस्तुति देखकर पूरे पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। विजेता बच्चो को पुरुस्कार से सम्मान किय

श्रावकों ने जयकारों से भगवान जिनेंद्र के किया अभिषेक, मुनिश्री के गूँजे शांतिधारा में मंत्र

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विनय सागर महाराज ससंघ के सानिध्य व पंडित ज्योतिषाचार्य हुकुमचंद जैन के मार्ग दर्शन में भक्ति और ज्ञान की गंगा के कलशों से श्रावकों ने संगीतमय भक्ति करते हुए भगवान जिनेंद्र का जयघोष के साथ अभिषेक किया। मुनिश्री ने अपने मुखबिंद से मंत्रो से भगवान की प्रथम शांतिधारा सुनील सुनीता जैन, जितेंद्र जैन एवं कन्हैया जैन परिवार ने की। महिलाओ ने भगवान जिनेंद्र की दीपकों से आरती उतारी।

उत्तम आर्जव धर्म की पूजन कर भगवान को अर्घ्य समर्पित किए…।

मुनिश्री के ससंघ सानिध्य में सुबह श्रावक श्राविकाओं ने पीले वस्त्र धारण कर दसलक्षण पूजा, सोलहकरण, उत्तम मार्दव पूजन संगीतकर शुभम जैन सैमी के मधुर ध्वनि भजनों पर ने भक्ति झूमते हुए भगवान जिनेंद्र के समक्ष महाअर्ध्य समर्पित किए। भक्तामर के महाआर्घ्य भी समर्पित करें।

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