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मध्यप्रदेश में बदले जा सकते हैं भाजपा के 16 जिलाध्यक्ष, चुनाव से पहले संगठन में कसावट की कवायद

कई जिलों में नगरीय निकाय चुनाव में कमजोर प्रदर्शन तो कई जगह संगठन के कामकाज में लापरवाही

भोपाल । मिशन 2023 से पहले भाजपा संगठन स्तर पर कसावट करने जा रही है। नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम और कमजोर संगठन के कारण 16 जिलों के अध्यक्ष निशाने पर हैं।

खासतौर से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में ग्वालियर, गुना, अशोकनगर, भिंड और दतिया जिले के मुखिया बदले जा सकते हैं।

इसी तरह रायसेन, नरसिंहपुर, कटनी, शाजापुर, आगर, आलीराजपुर, झाबुआ, छतरपुर, भोपाल ग्रामीण, रतलाम और सतना के जिलाध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं। इनमें से कई जिलों में नगरीय निकाय चुनाव के दौरान पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। वहीं, कई जिलाध्यक्ष के खिलाफ अन्य शिकायतें हैं। कुछ जिलों में नेताओं के बीच पटरी न बैठ पाने का भी मुद्दा शामिल है।

जिलाध्यक्षों के कामकाज को लेकर लंबे समय से शिकायत सामने आती रही है लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में हुए कम मतदान ने इनकी पोल खोल दी । सतना के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी से संगठन रैगांव विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव के समय से नाराज था। पार्टी यहां चुनाव हार भी गई थी।

इसी तरह ग्वालियर नगर अध्यक्ष कमल माखीजानी से भी संगठन नाराज है। पार्टी 57 वर्ष बाद पहली बार ग्वालियर महापौर का चुनाव हारी है। वहां संगठन के कुछ नेताओं का एक विवादास्पद वीडियो भी वायरल हुआ था। इसी तरह गुना के जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार पर भी गाज गिरना तय है। यहां भाजपा के 19 पार्षद थे लेकिन नौ निर्दलीय पार्षद का समर्थन होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी को वे चुनाव जिता नहीं पाए।

सिकरवार का कार्यकर्ताओं के साथ भी समन्वय नहीं बन पाया। यहां जिला प्रभारी संजीव कांकर को भी पार्टी ने दो दिन पहले हटा दिया था। अशोकनगर के जिलाध्यक्ष उमेश रघुवंशी भी निशाने पर हैं। कटनी में भी भाजपा महापौर का चुनाव हार गई थी। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के संसदीय क्षेत्र में आने वाले कटनी के जिलाध्यक्ष रामरतन पायल पर पार्टी हार का ठीकरा फोड़ना चाह रही है।

भिंड के जिलाध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर के कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह के प्रभाव क्षेत्र में सेंध न लगा पाने का आरोप है। यहां जिले में कांग्रेस ने आठ निकाय चुनाव में जीत हासिल की, जबकि भाजपा को मात्र पांच मिल पाई।

नरसिंहपुर के जिलाध्यक्ष अभिलाष मिश्रा से भी संगठन नाराज है । मिश्रा का दूसरा कार्यकाल चल रहा है।

छतरपुर जिलाध्यक्ष मलखान सिंह यादव को भी हटाया जा सकता है। यादव को पूर्व मंत्री ललिता यादव खेमे का माना जाता है। रायसेन के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश किरार भी निशाने पर हैं। किरार को पूर्व मंत्री डा. गौरीशंकर शेजवार का नजदीकी माना जाता है।

इस कारण सिंधिया समर्थक मंत्री डा प्रभुराम चौधरी और किरार की पटरी नहीं बैठ पा रही है। रतलाम से जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा के कार्यकाल में भाजपा ने महापौर प्रहलाद पटेल को चुनाव तो जितवा दिया लेकिन हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया। संगठन के कमजोर प्रदर्शन के लिए जिलाध्यक्ष से संगठन नाराज हैं। कई जिलों में जिलाध्यक्ष संगठन के कामकाज में तत्परता नहीं बरत रहे हैं। कई जगह समन्वय का अभाव है।

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