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दो दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव का हुआ समापन
नवीन जिन मंदिर की वेदी विराजे भगवान पार्श्वनाथ, शिखर पर कलशारोहण के साथ लहराई जैनध्वज

ग्वालियर। पूज्य सिद्धांत गणिनी आर्यिकाश्री विशुद्ध मती माताजी एवं गणिनी आर्यिकाश्री विज्ञमती माताजी ससंघ के मंगल आशीर्वाद के साथ दाना ओली स्थित नवीन जिनालय श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ ट्रस्ट मंदिर में दो दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण समारोह का मंगलवार को समापन हो गया। अंतिम दिन नवीन वेदियों पर भगवान की प्रतिमाएं स्थापित की गईं। मंदिर के शिखर कलशारोहण और जैन ध्वजों की स्थापना की गई।
महोत्सव के दूसरे दिन प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री एवं सह प्रतिष्ठाचार्य पंडित सम्मेद अजीत उपाध्ये कोल्हापुर ने मंत्रो से इंद्रो ने भगवान जिनेंद्र का कलशों से जयकारों के साथ अभिषेक किया। वही शांतिधारा अजीत जैन, पारस जैन, महावीर जैन, ने की। महिलाओ ने दीपकों से आरती उतारी। महोत्सव में कल्याण मंदिर विधान में पूजा के साथ संगीतकार योगेश के भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महा अर्ध्य समर्पित करें। अतिंम दिन इंद्र-इंद्राणियों ने अनुष्ठान क्रिया संपन्न कराई गई।
इन्होने की वेदी में मूलनायक पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी व चंद्रप्रभु की प्रतिमाऐं की विराजित
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री ने मंत्रो के साथ नवीन जिन मंदिर पट उद्घाटन डॉ वीरेंद्र कुमार गंगवाल एवं पूर्व अधिवक्ता आर. डी. जैन ने किया। नवीन वेदी का उद्घाटन मंदिर जीर्णोद्धार प्रेरण स्त्रोत्र श्रीमती त्रिवेणी देवी जैन ने किया। वही नवीन वेदी की मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी, चंद्रप्रभु, सहित अन्य प्रतिमाओं को विराजित करने सौभाग्य श्री अजित जैन, पारस जैन, महावीर जैन, हेमंत जैन, दीपक जैन, नितिन जैन एवं मित्तल परिवार ने की।
इन्होंने किया मंदिर के शिखर पर कलश रोहण
शिखर पर कलशरेाहण होते ही जयकारो से मंदिर प्रागण गूंज भक्ति झूमे श्रद्धालु
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री ने मंदिर के शिखर पर नवनिर्मित स्वर्णमय कलश रोहण विवेक दीवाली सिंघल, मनीष रुपाली अग्रवाल, अरुण मिनिता दूदावत, रोहन कृतिअग्रवाल जितेंद्र बंसल परिवार चढाया गया। शिखर पर ध्वज फहराई श्याम सुंदर सिंघल दामोदर दास सिंघल एवं पुरुषोत्तम जैन परिवार ने फहराई। मंदिर में काॅफी संख्या में मोजूद लोगो ने भगवान पार्श्वनाथ के जयकारो के साथ भक्ति नृत्य करने लागे।