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माताजी के सानिध्य में 48 दिवसीय भक्तामर विधान के समापन पर विश्व में शान्ति की कामना से महायज्ञ में दीं आहूति

मुरार जैन धर्मशाला में आर्षमती माताजी का चातुर्मास

ग्वालियर 29 अगस्त। मुरार स्थित जैन धर्मशाला में पूज्य गणिनी आर्यिका आर्षमती माताजी के चातुर्मास में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान का आज सोमवार को महायज्ञ के साथ समापन किया गया। जिसमें विधान में शामिल श्रृदालुओं ने विश्व में शांति हो ऐसी कामना करते हुए पूर्ण आहूतियां समर्पित की।  जैन समाज के प्रवक्ता ललित जैन ने बताया कि आज के सौधर्म ईन्द्र दिनेशचन्द्र जैन सहित सुभाष जैन, अनिल कुमार जैन, अशोक कुमार जैन, महेशचन्द्र जैन, उपेन्द्र कुमार जैन, विकास जैन, अंशुल जैन, विक्की जैन, अनीश जैन, प्रिंस जैन, परेश जैन ऐंसाह वाला परिवार के द्वारा पूज्य माताजी के सानिध्य में एवं पं. शशीकांत शास्त्री के मार्गदर्शन में भगवान आदिनाथ स्वामी का अभिषेके करते हुए शांतिधारा की। तदपश्वात विधान मंडप पर भगवान के गुणों की आराधना करते हुए अष्टद्रव्य के अर्घ समर्पित किए गये।
इस अवसर पर चातुर्मास कमेटी के मुख्य संयोजक अशोक जैन ऐंसाह वाले, उप संयोजक राजकुमार जैन, प्रदीप जैन, महामंत्री सत्येन्द्र डिम्पल जैन, मंत्री कुशल जैन, कोषाध्यक्ष महावीर जैन पुजारी, अजय जैन, कमल जैन एवं जैन समााज के प्रवक्ता ललित जैन ने माताजी को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया।

भक्तामर की महिमा अपरम्पार है- माताजी ने बताया कि भक्तामर स्त्रोत्र के 48 काव्य और प्रत्येक काव्य के बीजा अक्षर में अपरंपार शक्ति है। इस भक्तामर स्त्रोत पर देशभर में सैंकड़ों लोगों ने पीएचडी भी की है। इसके एक एक मंत्रों की आराधना से असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है। कैसा भी संकट हो, श्रृदा और विश्वास के साथ भक्तामर मंत्रो के द्वारा भगवान आदिनाथ स्वामी की आराधना करने से संकट दूर होते हैं।

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