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आर्यिकाश्री के सानिध्य में दो दिवसीय वेदी शिखर शुद्धि एवं शिखर कलश रोहण महोत्सव शुरू हुआ।

हमें धर्म के सहारे जीते हुए अपने मन और आत्मा को पवित्र बनाना चाहिए -: आर्यिकाश्री

ग्वालियर-: श्रद्धा, आस्था और विश्ववास का भव्य मंदिर ऊर्जा का संचालन कर रहा है। धर्म से ही पुण्य का संचार होता है। प्रभु आराधना और सत्संगति द्वारा ही जीवन में सुख व शांति की अनुभूति होती है। परिणामों में विशुद्धि से ही आत्मिक सुख अर्जित होता है। हमें धर्म के सहारे जीते हुए अपने मन और आत्मा को पवित्र बनाना चाहिए। यह विचार पूज्य गणिनी आर्यिकाश्री विशुद्ध मती माताजी की शिष्य गणिनी आर्यिकाश्री विज्ञमती माताजी ने आज सोमवार को दाना ओली स्थित नवीन दिगंबर जैन पार्श्वनाथ ट्रस्ट की वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

आर्यिकाश्री माताजी ने कहा कि मनुष्य की आत्मा में परमात्मा के समान गुण विधमान है, लेकिन मनुष्य ने अभी तक उन गुणों का सदुपयोग नहीं किया है। जिस दिन व्यक्ति इन गुणों के अपने आचरण में उतार लेगा तो वह उस दिन दूर नहीं जब वह इस संसार को त्यागकर मोक्ष प्राप्त कर लेगा। आर्यिकाश्री ससंघ के चरणों मे मंदिर जीर्णोद्धार प्रेरण स्त्रोत्र श्रीमती त्रिवेणी देवी जैन, अजित जैन, पुरुषोत्तम जैन, पारस जैन, हेमंत जैन, अनिल अग्रवाल, महावीर जैन, नितिन जैन, आदि मित्तल परिवार ने श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम स्थल पर विधानचार्य प्रतिष्ठाचार्य अजित कुमार शास्त्री व सह प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री सम्मेद अजीत उपाध्ये कोल्हापुर ने मंत्रो के साथ महोत्सव का शुभारंभ आर के जैन पूर्व कलेक्टर परिवार ने जैन ध्वजारोहण कर किया।

मंगल कलश शोभायात्र में महिलाओ ने किया नृत्य, बग्गियों में इंद्रा इंद्राणी हुए सावर

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि डीडवाना ओली स्थित जैन मार्केट से गाजेबाजे के साथ मंगल कलश शोभायात्रा निकाली। मंगल कलश शोभायात्रा डिडवाना ओली से शुरू होकर गस्त का ताजिया, नई सड़क, दाना ओली होती हुई कार्यक्रम स्थल श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ ट्रस्ट पहुॅची। शोभायात्र में महिलाएं केशरिया साॅड़ी में सिर पर मंगल कलश लेकर चल रही थी! ढोल तासे की धुन पर महिलाऐं ओर बालिकाएं डांडिया नृत्य कर रही थी! बग्गियों में मंदिर जीर्णोद्धार प्रेरण स्त्रोत्र श्रीमती त्रिवेणी देवी जैन एवं सौधर्म, कुबेर इंद्रा इंद्राणी सवार होकर रत्नों की बर्ष करते हुए निकाले। वही मंदिर से भगवान जिनेंद्र को सिर पर विराजित कर कार्यक्रम स्थल पर समाजजनो ने भगवान जिनेंद्र की अगवानी की।

भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक किया, याग विधान में चढ़ाए 250 महाअर्घ्य

महोत्सव के प्रतिष्ठाचार्य श्री अजीत कुमार शास्त्री एवं सह प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री सम्मेद अजीत उपाध्ये कोल्हापुर ने मंत्रउच्चरण के साथ में सौधर्म इंद्रा अजित जैन, कुबेर हेमंत जैन, इशात पारस जैन, महेंद्र अनिल जैन, सनत महावीर जैन सहित इंद्रो ने भगवान जिनेद्र का कलशों से अभिषेक जयकारों के साथ किया। शांतिधारा अजित पारस महावीर जैन द्वारा कि गई। याग महामंडल विधान इंद्रा-इंद्राणियो ने पीले वस्त्र धारण कर पूजा आर्चन कर संगीतकार योगेश के भजनों पर भक्ति करते हुए महाअर्घ्य मंडप के समक्ष भगवान जिनेन्द को 250 महा अर्घ्य समर्पित किए।

सौभाग्यवती महिलाओ ने कलशों से नवीन वेदी की शुद्धि

प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री ने मंत्रउच्चारणो के साथ विधि संस्कार के साथ मंदिर की नवीन स्वर्णमय वेदी की सौभाग्यवती महिलाओ ने मंगल कलशों के शुद्ध जल, हल्दी, चंदन, सबऔषाधिक, केशर से स्वातिक आदि से मंगल गीता गाकर शुद्धि संपन्न कराई गई।

आज महायज्ञ, शिखर कलश पदारोहण, श्रीजी को नवीन वेदी विराजित होंगे

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि 30 अगस्त को प्रता: 6ः30 बजे जाप्यानुष्ठान, अभिषेक शांतिधारा, श्री कल्याण विधान, अनुष्ठान, मंदिर कपाट उद्धाटन, श्रीजी को वैदिक में विराजित करेगे। शिखर पर कलशारोहण, ध्वजा कार्यक्रम होगा।

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