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थाईलैंड में राजा का अपमान करने पर 65 वर्षीय महिला को मिली 43 साल की सजा, लोगों ने साधी चुप्पी

बहुत से देशों में राष्ट्र के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी करना ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ समझा जाता है तो कुछ देशों में ऐसे टिप्पणी करना राष्ट्र प्रमुख का अपमान माना जाता है। थाईलैंड की एक अदालत ने एक पूर्व महिला नौकरशाह को यहां की राजशाही का अपमान करने या मानहानि के खिलाफ बने सख्त कानून का उल्लंघन करने का दोषी ठहराते हुए मंगलवार को रिकॉर्ड 43 साल कैद की सजा सुनाई है। राजशाही के अपमान के मामले में पहली बार इतनी सख्त सजा सुनाने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
जानकारी के मुताबिक, बैंकॉक की फौजदारी अदालत ने 65 वर्षीय पूर्व नौकरशाह अंचन प्रीलर्ट को फेसबुक और यूट्यूब पर राजशाही की आलोचना करने वाली टिप्पणी के साथ ऑडियो क्लिप पोस्ट कर देश के महामहिम सम्मान कानून की 29 धाराओं का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया। बताया जा रहा है कि इस पूर्व महिला अधिकारी ने यूट्यूब व फेसबुक पर 2014 से 2015 के बीच कई अपमानजनक टेप जारी किए थे।
मानवाधिकार पर थाई वकीलों के समूह ने बताया कि अदालत की यह सजा ऐसे समय आई है जब प्रदर्शन चल रहे हैं और राजशाही की अभूतपूर्व तरीके से सार्वजनिक स्तर पर आलोचना हो रही है। इस फैसले की अधिकतर समूहों ने निंदा की है। ह्यूमन राइट्स वॉच में वरिष्ठ शोधकर्ता सुनई फासुक ने कहा, ‘‘ अदालत का आज का फैसला स्तब्ध करने वाला है और यह बहुत ही घातक संकेत है कि राजशाही की आलोचना बर्दाश्त ही नहीं की जाएगी बल्कि सख्त सजा भी दी जाएगी।’’
उल्लेखनीय है कि थाईलैंड में राजशाही का अपमान करने के खिलाफ कानून है जिसे आमतौर पर धारा-112 कहा जाता है और इसमें प्रत्येक अपराध पर तीन से 15 साल कैद का प्रावधान है। यह विवादित कानून है क्योंकि इसका इस्तेमाल न केवल फेसबुक पोस्ट आदि के लिए किया जाता है बल्कि इसमें कोई भी शिकायत कर दूसरे को वर्षों तक कानूनी कार्यवाही में फंसा सकता है।
एंचान के वकील ने बताया कि 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला को अदालत ने शुरू में 87 साल कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन अपने अपराधों के लिए माफी मांगने पर सजा की अवधि घटाकर आधी यानी 43 साल कर दी गई। महिला के वकील ने बताया कि लेसे मैजेस्टे केस में ये अबतक की सबसे कड़ी सजा दी गई है। एंचान के पास मौका है कि वो ऊपर की दो अदालतों में अपने केस को चैलेंज कर सकती हैं।
2014 में जनता की सरकार को हटाकर सेना ने वहां तख्तापलट किया था। उसके कुछ वक्त बाद जनवरी 2015 में सुरक्षाबलों ने एंचान के घर पर छापा मारा था। उनके केस को पहले मिलिट्री कोर्ट में लाया गया था मगर साल 2019 में केस को सिविल कोर्ट में ट्रांस्फर कर दिया गया। 2014 के तख्तापलट के बाद 169 लोगों पर लेसे मैजेस्टे केस के अंतर्गत अभियोग चलाया गया था। बताया जा रहा है कि बीते सोमवार को एक और व्यक्ति को भी 4 साल जेल की सजा सुनाई गई जिसे 2014 में गिरफ्तार किया गया था। व्यक्ति ने कथित तौर पर राजा के खिलाफ कुछ कविताएं और आर्टिकल पब्लिश किया था।