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11 बहुओं ने अपनी सास को देवी मानकर बनवाया मंदिर, अब रोज करती हैं सास की पूजा, लोग कर रहे तारीफ

भारत में सास-बहू के बीच की नोंक-झोंक बहुत बार जुबानी जंग से आगे बढ़कर अपराध का रुप ले लेती है। अदालतों में नवविवाहित बहुओं के साथ बढ़ रहे घरेलू अत्याचारों में ऐसे अनेक उदाहरण देखने और सुनने को मिलते रहते हैं जिनमें सास अपनी बहुओं पर अत्याचार करने में सहयोगी पाई जाती हैं। किंतु छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से एक ऐसी सास के बारे में जानकारी सामने आ रही है जिसने अपनी बहुओं को बेटी मानकर लाड़-प्यार दिया और समाज में सास-बहू का एक अलग ही उदाहरण पेश किया।

यहां बिलासपुर जिले के रतनपुर गांव में एक ऐसा परिवार है जहां बहुओं को अपनी सास से इतना प्रेम था कि सास के निधन के बाद उसकी 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनवा लिया। इतना ही नहीं, वे रोज उनकी पूजा करने के साथ आरती भी उतारती हैं। महीने में एक बार सभी 11 बहुएं अपनी सास के मंदिर के सामने बैठकर भजन कीर्तन करतीं है। सास बहुओं के बीच इस प्रेम को मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, जो समाज में इस रिश्ते को लेकर बनी भ्रांति को तोड़ने के लिए एक प्रेरणा है।

बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बिलासपुरण्कोरबा मार्ग पर रतनपुर गांव है। यहां शिवप्रसाद तंबोली 77 वर्ष का 39 सदस्यों का संयुक्त परिवार है। इस परिवार में 11 बहुएं हैं। बहुओं की सास गीता देवी का 2010 में निधन हो गया। जब वह जीवित थीं तो बहुओं को अपनी बेटियों की तरह प्यार करती थीं। गीता देवी ने अपनी बहुओं को पूरी आजादी दे रखी थी। सास गीता देवी को भी ये संस्कार अपनी सास से ही मिले थे गीता देवी के गुजर जाने के बाद उनकी 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनवाया। इसके अलावा इस मंदिर में गीता देवी की मूर्ति स्थापित कर इसका श्रृंगार सोने के गहनों से किया। बहुएं रोजाना मंदिर में पूजा-आरती भी करती हैं।

दिवंगत सास गीता देवी की तीन बहुएं हैं। इनमें बेटे संतोष की 51 वर्षीय पत्नी ऊषा, प्रकाश की 41 वर्षीय पत्नी वर्षा और प्रमोद की 37 वर्षीय पत्नी रजनी शामिल हैं। संयुक्त परिवार में गीता देवी के देवर केदार की पत्नी कलीबाई (65 वर्ष), कौशल की पत्नी मीराबाई (31 वर्ष) पुरुषोत्तम की गिरिजा बाई (55 वर्ष) और सुभाष की अंजनी (50 वर्ष) भी हैं। बड़ी जेठानी गीता ने कभी उन्हें देवरानी नहीं माना बल्कि बहनों की तरह ही दुलार किया। बहुओं के ससुर शिवप्रसाद को मिलाकर आपस में वह पांच भाई हैं। शिव प्रसाद ही सबसे बड़े हैं। दूसरे नंबर पर केदारनाथ, तीसरे कौशलनाथ हैं जिनका निधन हो चुका है। बाकी मुन्ना व सुभाष भी व्यवसाय करते हैं। तीनों परिवारों का जिम्मा वे खुद ही संभालते हैं। केदारनाथ के चार, कौशल के दो, पुरुषोत्तम के दो बेटे हैं। भाइयों की पत्नियों को मिलाकर 11 बहुएं तंबोली परिवार की आधार स्तंभ हैं।

बता दें कि तंबोली परिवार की सभी बहुएं पढ़ी लिखी हैं। सभी पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वे पुरुषों के कारोबार का हिसाब किताब रखने में मदद करती हैं। शिव प्रसाद रिटायर होने के बाद पान की दुकान चलाते हैं। तंबोली परिवार के पास होटल के अलावा दो किराना की दुकानें, दो पान की दुकानें और साबुन की फैक्टरी है। उनकी 20 एकड़ जमीन है, जिसमें खेती करते हैं। तंबोली परिवार की एक ही रसोई है। यहां बहुएं मिलकर खाना पकाती हैं।

✍️ रिपोर्ट: दिनेश दिनकर

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