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कोर्ट के आदेश पर आजम खान की ‘जौहर यूनिवर्सिटी’ की जमीन अब योगी सरकार के नाम होगी

उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चहेते आजम खान की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब जौहर यूनिवर्सिटी की 70.005 हेक्टेयर (लगभग 172 एकड़) जमीन को राज्य सरकार में निहित करने के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) जेपी गुप्ता की कोर्ट ने आदेश दे दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी की 12.50 एकड़ जमीन को छोड़कर 70.005 हेक्टेयर भूमि जो मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के नाम पर दर्ज है, पर नियमानुसार कब्जा प्राप्त करने और अभिलेखों में अंकित करने की कार्रवाई की जाए।
बता दें कि समाजवादी पार्टी से सांसद आजम खान की अध्यक्षता वाले जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में सरकार ने जौहर यूनिवर्सिटी के लिए 12.5 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी थी। भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने जमीन की खरीद के समय तय शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।
डीएम के निर्देश पर तत्कालीन एसडीएम सदर पीपी तिवारी ने शिकायत की जांच की और शिकायत सही बताते हुए जीएम को रिपोर्ट सौंपी थी। इस पर डीएम कोर्ट में इस मामले को वाद के तौर पर दर्ज किया गया, जिसकी सुनवाई एडीएम (प्रशासन) की कोर्ट में चल रही थी।
शनिवार को एडीएम (प्रशासन) की कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें जौहर यूनिवर्सिटी की 12.5 एकड़ जमीन को छोड़कर लगभग 172 एकड़ जमीन राज्य सरकार में निहित करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने जमीन पर कब्जा लेने के लिए एसडीएम सदर को आदेशित किया है। कानूनी जानकारों का कहना है कि जौहर ट्रस्ट के पास इस फैसले के खिलाफ कमिश्नर, राजस्व परिषद या हाईकोर्ट में जाने का विकल्प खुला है।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व अजय तिवारी ने बताया कि एडीएम (प्रशासन) की कोर्ट ने फैसला दिया है कि जिन शर्तों के अधीन जमीन दी गई थी, उनका पालन नहीं किया गया है। इस स्थिति में जौहर यूनिवर्सिटी की 12.50 एकड़ जमीन के अलावा 70.005 हेक्टेयर जमीन को सरकार में निहित किया जाएगा।
जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए सपा शासन में जौहर ट्रस्ट को जमीन देते वक्त स्टांप शुल्क में इस शर्त पर माफी दी गई थी कि जमीन पर सामाजिक कल्याण कार्य होंगे। जांच रिपोर्ट के अनुसार जौहर ट्रस्ट की इस जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय चल रहा है, लेकिन पिछले दस सालों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई थी। इस पर एडीएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया था। जांच में आरोप सही पाए जाने पर एडीएम की कोर्ट में वाद दर्ज कर लिया गया था। शनिवार को एडीएम जेपी गुप्ता की कोर्ट ने नियमों का पालन न करने का दोषी मानते हुए अपना फैसला सुनाया है।