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भूपेंद्र सिंह मान ने कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से खुद को किया अलग, राजनीतिक हलचल शुरू

मोदी सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 50वां दिन है। केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच हो रही बैठकों से ठोस समाधान नहीं निकलता देख देश के सुप्रीम कोर्ट ने समाधान निकालने का एक प्रयास किया। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक समिति का गठन किया था। इस समिति में भूपेंद्र सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड), अशोक गुलाटी (एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट) और अनिल धनवत (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र) लोग शामिल हैं। इस कमेटी पर किसान संगठन और विपक्ष ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस का कहना है कि कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले कानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं। ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?
S. Bhupinder Singh Mann Ex MP and National President of BKU and Chairman of All India Kisan Coordination Committee has recused himself from the 4 member committee constituted by Hon'ble Supreme Court pic.twitter.com/pHZhKXcVdT
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) January 14, 2021
आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब कमेटी के सदस्यों में से एक भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने समिति से अपना नाम वापस ले लिया है। उल्लेखनीय है कि कमेटी में भूपिंदर सिंह मान के नाम पर शुरुआत से ही विरोध हो रहा था। किसान नेताओं का कहना था कि मान पहले ही तीनों नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं।
भूपिंदर सिंह मान ने इस कमेटी में उन्हें शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताते हुए पत्र में लिखा है कि वे हमेशा पंजाब और किसानों के साथ खड़े हैं। एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते वह किसानों की भावना जानते हैं। वह किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हैं। किसानों के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। वह इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि दे सकते हैं। मान ने पत्र में लिखा कि वह कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकते, अतः वह खुद को इस कमेटी से अलग करते हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को दो माह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है, लेकिन मान के कमेटी से अलग होने के बाद अब रिपोर्ट कैसे तैयार होगी इसके लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
गौरतलब है कि कई जाने-माने कृषि अर्थशास्त्रियों ने नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने तथा सरकार और आंदोलनकारी किसान संगठनों के बीच उन कानूनों को लेकर जारी गतिरोध दूर कराने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री वाई के अलघ ने कहा था कि उन्हें लगता है कि यह (उच्चतम न्यायालय का फैसला) बहुत विवेकपूर्ण है।
बता दें कि भूपेंद्र सिंह मान 15 सितंबर 1939 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए थे। सरदार भूपिंदर सिंह मान को किसानों के संघर्ष में योगदान के लिए भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा 1990 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था। उन्होंने 1990-1996 तक सेवा की। उनके पिता एस अनूप सिंह इलाके के एक प्रमुख जमींदार थे।