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प्रैक्टिस के दौरान जूते तक नहीं थे पास, अब अपनी मेहनत से जेवलिन थ्रो में भारत को करेंगी अमेरिका में रिप्रेजेंट

अक्सर कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। कुछ ऐसा ही हो रहा है बिहार के भागलपुर के पीरपैंती की आदिवासी लड़की और जेवलिन थ्रो खिलाड़ी मीनू सोरेन के साथ। जो मीनू सोरेन कभी नंगे पांव पथरीली मिट्टी पर दौड़ते-भागते हुए जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करती रही है, अब वह साल 2022 में अमेरिका के ऑरिगन राज्य के यूजीन में होने वाले वर्ल्थ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश को रिप्रेजेंट करेंगी।

बता दें कि मीनू बिहार के बालिका एकलव्य आवासीय खेल प्रशिक्षण केंद्र में 8 साल से ट्रेनिंग ले रही है। प्रशिक्षक राजीव लोचन से मिले तकनीकी गुर और कड़ी मेहनत की वजह से मीनू ने शुरुआती दौर में 37 मीटर से बढ़ाकर 47 मीटर तक जेवलीन थ्रो करने की क्षमता विकसित कर ली है। उसका लक्ष्य अब अंतरराष्ट्रीय रिकार्ड 62 मीटर को तोड़ने का है। मीनू दिसंबर 2017 में हरियाणा के रोहतक में हुए 63वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स के बालिका अंडर-19 में पहले स्थान पर रही थी। उसने यहां 44.51 मीटर भाला फेंककर बिहार का नाम रोशन किया था।

जैवलिन थ्रो खिलाड़ी मीनू सोरेन की उपलब्धियां…….
• 2014 में रांची में 59वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स बालिका अंडर 17 में दूसरा स्थान
• अप्रैल 2014 हरिद्वार में 12वीं नेशनल इंटर जिला जूनियर एथलेटिक्स मीट में दूसरा स्थान
• जनवरी 2015 में रांची में 60वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स बालिका प्रतिस्पर्धा में पहला स्थान
• जनवरी 2016 में केरल कोजीकोड़ में 61वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स बालिका अंडर 17 में दूसरा स्थान
• फरवरी 2017 में बड़ोदरा में 62वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स बालिका अंडर 17 में पहला स्थान
• दिसंबर 2017 में रोहतक में 63वीं नेशनल स्कूल गेम एथलेटिक्स बालिका अंडर 19 में पहला स्थान
• नवंबर 2018 में रांची में यूथ जूनियर नेशनल में कांस्य पदक
• सितंबर-18 में ईस्ट जोन प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल

मीनू को पांच बार राज्य खेल पुरस्कार सम्मान मिल चुका है। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के राज्य खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित राज्य खेल पुरस्कार से मीनू को 2013 से 2018 तक पांच बार सम्मान मिला है। ये पुरस्कार जेवलीन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार को मेडल दिलाने के लिए दिये गए। 26 जनवरी, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल ने राजभवन में विशिष्ट श्रेणी के खेल सम्मान से मीनू सोरेन को सम्मानित किया था। वह 2020 के लिए दक्षिण अफ्रीका के कैपटाउन में होने वाले ट्रेनिंग कैंप के लिए चयनित हुई थीं, लेकिन कोरोना की वजह से ट्रेनिंग कैंप रद्द कर दिया गया।

आर्थिक रूप से कमजोर मीनू सोरेन के परिवार के पास इतने पैसे नहीं है, जिससे अपने खेल की जरूरत के मुताबिक संसाधन जुटा सके। मीनू के पिता मान सिंह सोरेन पत्थर तोड़ कर अपनी जीविका चलाते थे। 2020 के फरवरी में उनके निधन होने के बाद परिवार आर्थिक तंगी की चपेट में आ गया। मां हीरामणी हांसदा पुस्तैनी दो बीघा जमीन में खेती कर दो बेटे और मीनू का भरण पोषण कर रही है। मीनू ने बताया, खेल विभाग ने सस्ता और एल्यूमिनियम वाला जेवलीन अभ्यास के लिए दिया है। ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में मेडल जीतने के लिए कार्बन और मेटल वाले रेंज जेवलीन की आवश्यकता है। जिसकी कीमत 65 हजार से दो लाख रुपये तक है। उसके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लायक जूते भी नहीं हैं।

✍️ रिपोर्ट: दिनेश दिनकर

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