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बचपन में छीन गया था पिता का साया, कठिन परिश्रम कर चार सगी बहनें अब उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में हैं कार्यरत

समाज में कामकाजी पिता का साया सिर से हट जाने पर बहुत से बच्चे दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो जाते हैं तो कुछ बच्चे अपनी मां का काम में हाथ बंटाते हुए खुद भी कठिन परिश्रम करने लग जाते हैं ताकि उनके परिवार, जीवन से ये दुख के बादल हट जाएं। अपनी मेहनत और परिवार के सहयोग से कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है उत्तर प्रदेश की चार बहनों ने। इस परिवार से एक-दो-तीन नहीं बल्कि चार सगी बहनें उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में कार्यरत होकर समाज को एक नई दिशा दे रही हैं और अपने परिवार के साथ अपनी मां को एक विशेष पहचान दिला रही हैं।
ये चार सगी बहनें आगरा जिले की मूल निवासी हैं, लेकिन पुलिस सेवा में जाने की तैयारी के लिए इन्होंने अलीगढ़ को कर्मस्थली बनाया था। आगरा के रैपुरा अहीर रुकता गांव की रहने वाली मचला देवी की चार बेटियां सुनीता, रंजीता, कुंती, अंजलि और एक बेटा धीरज कुमार है। सुनीता ने बताया कि उनके पिता वीरेंद्र सिंह का वर्ष 2002 में स्वर्गवास हो गया था। पिताजी का जब निधन हुआ था, तब चारों बहनें छोटी थीं और उनका भाई भी काफी छोटा था। मां के सपने को साकार करने और परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए वह अलीगढ़ आ गईं। यहां क्वार्सी एटा बाईपास में रहकर पुलिस सेवा में जाने की तैयारी करने लगी। मां के आशीर्वाद और कड़ी मेहनत की बदौलत 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर कांस्टेबल चयन हो गया।
सुनीता ने आगे बताया कि इसके बाद तीनों बहनों ने भी अलीगढ़ में तैयारी करके पुलिस महकमे में कांस्टेबल के पद पर स्थान बना लिया। हाल ही में भाई धीरज का भी पीएसी में चयन हुआ है। अभी उसकी ट्रेनिंग होनी है। सुनीता ने कहा कि इस सफलता के पीछे कैप्टन आसीन खान की विशेष भूमिका रही है, जिन्होंने तैयारी करने में हमारी काफी मदद की।
वर्तमान में सुनीता की बरेली जिले के थाना किला में तैनाती है, जबकि रंजीता की फतेहपुर जिले के मलवा थाने में, इसी जिले के थाना हुसैनगंज में कुंती व अंजलि की तैनाती है।
✍️ रिपोर्ट: दिनेश दिनकर