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उत्तराखंड के पूर्व सीएम ने मोदी सरकार से लगाई गुहार, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती को मिले भारत रत्न

देश में राजकीय सम्मान देने को लेकर पक्षपात के आरोप लगते रहते हैं और कुछ नेता खुले तौर पर अपने पसंदीदा नेताओं, खिलाड़ियों, फिल्मी हस्तियों और अन्य विशेष लोगों को राजकीय सम्मान देने की मांग करते रहते हैं। अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता हरीश रावत ने मोदी सरकार से कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती को भारत रत्न देने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सोनिया गांधी ने भारतीय महिला की गरिमा और सामाजिक समर्पण व जनसेवा के मापदंडों को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
गरिमा प्रदान की है, आज उन्हें भारत की नारीत्व का गौरवशाली स्वरूप माना जाता है। सुश्री मायावती जी ने वर्षों से पीड़ित-शोषित लोगों के मन में एक अद्भुत विश्वास का संचार किया है, #भारत_सरकार को चाहिये कि इन दोनों व्यक्तित्वों को इस वर्ष का #भारत_रत्न देकर अलंकृत करें।@narendramodi
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) January 5, 2021
हरीश रावत ने ट्विटर पर लिखा, ”आदरणीय सोनिया गांधी जी व सम्मानित बहन मायावती जी, दोनों प्रखर राजनैतिक व्यक्तित्व हैं। आप उनकी राजनीति से सहमत और असहमत हो सकते हैं, मगर इस तथ्य से आप इनकार नहीं कर सकते हैं कि सोनिया जी ने भारतीय महिला की गरिमा और सामाजिक समर्पण व जनसेवा के मापदंडों को एक नई ऊंचाई व गरिमा प्रदान की है।” उन्होंने कहा कि ”आज उन्हें भारत की नारीत्व का गौरवशाली स्वरूप माना जाता है। सुश्री मायावती जी ने वर्षों से पीड़ित-शोषित लोगों के मन में एक अद्भुत विश्वास का संचार किया है, भारत सरकार को चाहिये कि इन दोनों व्यक्तित्वों को इस वर्ष का भारत रत्न देकर अलंकृत करें।”
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ (फाइल फोटो)
केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना भी की। हरीश रावत ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार अनदेखी कर रही है। इसी कारण अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की जिद के चलते किसान सड़कों पर मर रहा है। केंद्र सरकार सिर्फ सोई हुई है जिसके चलते कोई निर्णय नहीं लिया गया है। किसानों के प्रतिनिधियों के साथ मोदी कैबिनेट के कृषि मंत्री एवं अन्य मंत्रियों की अब तक हुई किसी भी बैठक में ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है जिससे किसान ठंड और बारिश के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।