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किसान आंदोलन के बीच ‘कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग’ नहीं करने का रिलायंस ने किया दावा, अफवाहों पर रखा कंपनी का पक्ष

देशभर में जारी किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार का पक्ष जानने के लिए पूरा देश उत्सुकता से इंतजार कर रहा है। मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान ‘तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग’ पर अड़े हुए हैं। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस ने सोमवार को कहा कि वह न तो किसानों से खाद्यान्नों की सीधी खरीद करती है और न ही वह अनुबंध पर खेती के व्यवसाय में है। कंपनी ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में दिया है, जब देशभर में जारी किसान आंदोलन में मोदी सरकार के साथ मुकेश अंबानी की कंपनी निशाने पर है। गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी किसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को नए कृषि कानूनों का लाभार्थी मान उसका विरोध कर रहे हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जारी बयान में कहा कि उसकी अनुषंगी रिलायंस जियो इंफोकॉम ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर असामाजिक तत्वों द्वारा कंपनी के टावरों के साथ तोड़-फोड़ करने की अवैधानिक गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सरकारी प्राधिकरणों के तत्काल दखल की मांग की है। कंपनी ने कहा कि देश में अभी जिन तीन कृषि कानूनों को लेकर बहस चल रही है, उनके साथ उसका (कंपनी का) कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी ने यह भी कहा कि उसे इन कानूनों से किसी तरह का कोई फायदा नहीं हो रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा, ‘‘रिलायंस का नाम इन तीन कानूनों के साथ जोड़ना सिर्फ और सिर्फ हमारे कारोबार को नुकसान पहुंचाने और हमें बदनाम करने का कुप्रयास है।’’

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने कहा है कि वह कॉरपोरेट या अनुबंध कृषि नहीं करती है। उसने कॉरपोरेट अथवा अनुबंध पर कृषि के लिए पंजाब या हरियाणा या देश के किसी भी हिस्से में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर कृषि भूमि की खरीद नहीं की है। खाद्यान्न व मसाले, फल, सब्जियां तथा रोजाना इस्तेमाल की अन्य वस्तुओं का अपने स्टोर के जरिए बिक्री करने वाली उसकी खुदरा इकाई किसानों से सीधे तौर पर खाद्यान्नों की खरीद नहीं करती है। कंपनी ने कहा, ‘‘किसानों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिये हमने कभी लंबी अवधि का खरीद अनुबंध नहीं किया है। हमने न ही कभी ऐसा प्रयास किया है कि हमारे आपूर्तिकर्ता किसानों से पारिश्रामिक मूल्य से कम पर खरीद करें। हम ऐसा कभी करेंगे भी नहीं।’’

देश में उड़ रही अफवाहों को नकारते हुए कंपनी ने आगे कहा कि रिलायंस रिटेल ने आधुनिक तकनीक और जबरदस्त सप्लाई चेन की मदद से देश का सबसे बड़ा संगठित रिटेल बिजनेस खड़ा किया है। इससे भारतीय किसानों और आम ग्राहकों को लाभ मिला है। जियो के 4जी डेटा की पहुंच देश के हर एक गांव तक है। भारत में डेटा का खर्च का दुनियाभर के मुकाबले बेहद सस्ता है। 4 साल की छोटी अवधि में​ जियो के पास करीब 40 करोड़ ग्राहक हैं। 31 अक्टूबर 2020 तक जियो के पास 1.40 करोड़ सब्सक्राइबर्स पंजाब में और 94 लाख हरियाणा में हैं। दोनों राज्यों में कुल सब्सक्राबर्स में यह हिस्सेदारी क्रमश: 36 और 34 फीसदी है। कोविड-19 महामारी के दौरान करोड़ों किसानों के लिए जियो नेटवर्क ने एक लाइफलाइन की तरह काम किया है। जियो नेटवर्क के जरिए किसान, ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स डिजिटल कॉमर्स के भागीदार बने हैं। इसकी मदद से प्रोफेशनल्स घर से काम करने में सक्षम हुए हैं। स्टूडेंट्स भी घर बैठे पढ़ाई कर पा रहे हैं। ​टीचर्स, डॉक्टर्स, मरीज, कोर्ट से लेकर विभिन्न तरह के सरकारी और प्राइवेट ऑफिस को मदद मिली है।

बता दें कि पंजाब में पिछले कुछ हफ्तों में मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कथित किसानों ने रिलायंस जियो के करीब 1,500 मोबाइल टावर और टेलीकॉम गियर को काफी नुकसान पहुंचाया है। तोड़फोड़ और बहिष्कार जैसी स्थिति के बीच अब रिलायंस ने इस पर संज्ञान लिया है और बयान जारी करके सफाई देते हुए कंपनी का पक्ष रखा है।

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