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असम में सरकारी मदरसे होंगे बंद, विधानसभा में पेश हुआ विधेयक

असम सरकार ने सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण बिल पेश किया जिसमें सभी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद कर इन्हें आम सरकारी स्कूल की तरह बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही इस बिल में भविष्य में सरकार द्वारा कभी मदरसा या स्कूल न खोले जा सकने का भी प्रस्ताव है। असम के शिक्षा मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने जानकारी देते हुए कहा कि “हमने एक विधेयक पेश किया है जिसके तहत सभी मदरसों को सामान्य शिक्षा के संस्थानों में बदल दिया जाएगा और भविष्य में सरकार द्वारा कोई मदरसा स्थापित नहीं किया जाएगा। हम शिक्षा प्रणाली में वास्तव में धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम लाने के लिए इस विधेयक को पेश करके खुश हैं।
Today I shall introduce a Bill to repeal Provincialisation of Madrassa. Once the Bill is passed, the practice of running Madrassa by the Government in Assam will come to an end, a practice which was started by Muslim League govt in pre-Independence Assam.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 28, 2020
विपक्ष की विरोध के बावजूद शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने विधान सभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के पहले दिन ‘असम निरसन विधेयक 2020’ में दो मौजूदों कानूनों असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) कानून, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवा का प्रांतीयकरण और मदरसा शिक्षण संस्थानों का पुनर्गठन) कानून, 2018 को निरस्त करने का प्रस्ताव दिया है।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ शिक्षा मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (फाइल फोटो)
राज्य के शिक्षा मंत्री सरमा ने आगे कहा कि कांग्रेस और AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) ने इस विधेयक का जोरदार तरीके से विरोध किया है। लेकिन हम दृढ़ हैं कि इस विधेयक को पारित करने की आवश्यकता है और इसे पारित किया जाएगा।” बता दें इस बिल को कुछ ही दिन पहले असम कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके अलावा राज्य कैबिनेट ने एक अलग प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि निजी शिक्षण संस्थानों के अधिकारी उन्हें संचालित करने से पहले सरकार से अनुमति हासिल करें।
✅ Cabinet decided to introduce Repeal of Provisions of Madrasas and Sanskrit Tols Act in next session of Assembly.
— Chief Minister Assam (@CMOfficeAssam) December 13, 2020
विदित हो कि असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने अक्टूबर में कहा था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है। उन्होंने कहा था कि राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा। तब मंत्री ने यह भी कहा था कि सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील कर दिया जाएगा और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा।
In my opinion, teaching 'Quran' can't happen at the cost of government money, if we have to do so then we should also teach both the Bible and Bhagavad Gita. So, we want to bring uniformity and stop this practice: Himanta Biswa Sarma, Assam Minister https://t.co/fRMhpQvaE4
— ANI (@ANI) October 13, 2020
सरमा के मुताबिक, राज्य में संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि संस्कृत स्कूलों के ढांचे का इस्तेमाल उन्हें भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद के शिक्षण एवं शोधन केंद्रों की तरह किया जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लश्कर ने कहा था कि निजी मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा। लश्कर ने नवंबर में कछार जिले में एक मदरसे की आधारशिला रखते हुए कहा था, ‘इन (निजी) मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि इन्होंने मुस्लिमों को जिंदा रखा है।’
बता दें कि असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले मदरसे और दूसरे वो मदरसे जिन्हें निजी संगठन चलाते हैं। सरकारी मदरसों को राज्य सरकार हर साल करोड़ों रुपए की ग्रांट देती है, जबकि प्राइवेट मदरसे अपने खर्च पर संचालित होते हैं। असम सरकार ने सरकारी मदरसों को बंद करने का ऐलान किया है।