
देश में पूर्व खिलाड़ियों का राजनीतिक पारी खेलना आम बात है किन्तु बिना किसी चुनाव के पूर्व खिलाड़ी द्वारा एक दिवंगत राजनेता का विरोध करना जरूर चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत के महानतम स्पिनरों में से एक बिशन सिंह बेदी ने DDCA के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय अरुण जेटली की प्रतिमा को स्टेडियम के बाहर लगाने के फैसले के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (DDCA) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा उन्होंने DDCA से अरुण जेटली स्टेडियम (फिरोज शाह कोटला मैदान) में बने स्टैंड से अपना नाम हटाने को कहा है। बताया जा रहा है कि DDCA को लिखी चिट्ठी में उन्होंने भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया है। बता दें कि फिरोजशाह कोटला मैदान पर 2017 में एक स्टैंड का नाम बिशन सिंह बेदी के नाम पर रखा गया था। उनके अलावा पूर्व दिग्गज बल्लेबाज मोहिंदर अमरनाथ के नाम पर भी एक स्टैंड का उद्घाटन किया गया था।
People of honour and principle are rare in Indian public life. In cricket there is Bishan Bedi, and no one else. Do read his beautifully worded and deeply moving letter of resignation to the DDCA:https://t.co/u5m41yUbdg
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) December 23, 2020
74 वर्षीय पूर्व भारतीय क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने DDCA के मौजूदा अध्यक्ष और अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को चिट्ठी लिखकर कहा कि DDCA के फैसले ने उन्हें ये कदम उठाने को मजबूर किया है। उन्होंने लिखा, “मैं काफी सहनशील इंसान हूं लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा है। DDCA ने मेरे सब्र की परीक्षा ली है और मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिये मजबूर किया। अध्यक्ष महोदय मैं आपसे मेरा नाम उस स्टैंड से हटाने का अनुरोध कर रहा हूं जो मेरे नाम पर है और यह तुरंत प्रभाव से किया जाए। मैं DDCA की सदस्यता भी छोड़ रहा हूं।’’ बेदी ने आगे लिखा, “मैंने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है। मैं सम्मान का अपमान करने वालों में से नहीं हूं, लेकिन हमें पता है कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सम्मान लौटा रहा हूं कि जिन मूल्यों के साथ मैंने क्रिकेट खेली है, वो मेरे संन्यास लेने के चार दशक बाद भी वैसे ही हैं।’’
अपने पिता अरुण जेटली के साथ DDCA के मौजूदा अध्यक्ष रोहन जेटली (फाइल फोटो)
दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ से इस्तीफा देने वाले बेदी ने अरुण जेटली पर चापलूसों के साथ काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस तरह के नहीं हैं, इसलिए वह इन सबका समर्थन भी नहीं करते। बेदी ने साथ ही कहा,“फिरोजशाह कोटला मैदान का नाम आनन फानन में दिवंगत अरुण जेटली के नाम पर रख दिया गया जो गलत था लेकिन मुझे लगा कि कभी तो सदबुद्धि आएगी, लेकिन मैं गलत था। अब मैंने सुना कि कोटला पर अरुण जेटली की मूर्ति लगा रहे हैं। मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।”
इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ा रुख अपनाते हुए बिशन सिंह बेदी ने कहा कि दिवंगत जेटली मूल रूप से नेता थे और संसद को उनकी यादों को संजोना चाहिए। उन्होंने कहा, नाकामी का जश्न स्मृति चिन्हों और पुतलों से नहीं मनाते। उन्हें भूल जाना होता है। बेदी ने कहा, आपके आसपास घिरे लोग आपको नहीं बतायेंगे कि लाडर्स पर डब्ल्यू जी ग्रेस, ओवल पर सर जैक हॉब्स, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सर डॉन ब्रैडमेन, बारबाडोस में सर गैरी सोबर्स और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर शेन वार्न की प्रतिमायें लगी है। उन्होंने कहा, खेल के मैदान पर खेलों से जुड़े रोल मॉडल रहने चाहिए। प्रशासकों की जगह शीशे के उनके केबिन में ही है। DDCA इस वैश्विक संस्कृति को नहीं समझता तो मैं इससे परे रहना ही ठीक समझता हूं। मैं ऐसे स्टेडियम का हिस्सा नहीं रहना चाहता जिसकी प्राथमिकतायें ही गलत हों। जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों से ऊपर रखा जाता हो। कृपया मेरा नाम तुरंत प्रभाव से हटा दें।
गौरतलब है कि DDCA के प्रमुख के तौर पर निर्विरोध चुने गए रोहन जेटली की अध्यक्षता में एसोसिएशन फिरोज शाह कोटला के बाहर अरुण जेटली की 6 फुट की प्रतिमा लगाने पर विचार कर रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली 1999 से 2013 के बीच 14 साल तक DDCA के अध्यक्ष रहे।