
केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को अनेक सामाजिक और राजनीतिक संगठन के साथ खिलाड़ी, फिल्म कलाकार, पूर्व सैनिक इत्यादि अपना समर्थन जता चुके हैं। कुछ व्यक्ति विशेष सरकार और संस्थाओं द्वारा दिए गए सम्मान किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए अपने पदक-सम्मान लौटा रहे हैं। अब चंडीगढ़ के पैरा एथलीट खिलाड़ी मुकेश कुमार ने भी किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए अपना ‘जीवन रक्षक पदक’ और इनामी राशि भारत सरकार को लौटा दी है।
14 मार्च 2003 में मैं इंटर कॉलेज टेबल टेनिस कंपीटिशन के लिए जा रहा था। हम भिवानी रेलवे स्टेशन पर थे। वहां एक महिला अपनी बच्ची के साथ आई और उसे छाेड़ सामान लेने के लिए बाहर चली गई। बच्ची खेलते हुए ट्रैक पर चली गई और दूसरी ओर से ट्रेन आ गई। मुझे कुछ नहीं सूझा और मैंने बच्ची को बचाने के लिए छलांग लगा दी। अपनी इस कोशिश में मैं बच्ची को बचाने में सफल रहा, किंतु इस हादसे में खुद ट्रेन की चपेट में आ गया और अपनी एक टांग गंवा बैठा। मुकेश की इस वीरता के लिए उन्हें 2014 में ‘जीवन रक्षा पदक’ देने के लिए चुना गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने मुकेश को ‘जीवन रक्षा पदक’ से सम्मानित करते हुए जीवन में नई शुरुआत करने की शिक्षा दी थी। मुकेश के मुताबिक उनके लिए ‘जीवन रक्षा पदक’ बहुत मायने रखता है।
चंडीगढ़ के पैरा एथलीट मुकेश कुमार ने कहा कि मैं आज ये पदक लौटाकर अपने घर आया हूं, पूरा दिन शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों के बीच रहा तो खुद को रोक नहीं पाया। मैंने कभी बॉर्डर पर जाकर नहीं देखा, लेकिन मेरे लिए वहां के हालात बॉर्डर से कम भी नहीं थे। एक ओर पुलिस और सुरक्षा बल के जवान बंदूकें ताने खड़े हैं तो दूसरी ओर किसान ठंड की मार झेलते हुए अपना संघर्ष कर रहे हैं। मैं बतौर खिलाड़ी और बतौर भारतीय, सरकार से यही मांग करता हूं कि जो भी मसला है उसे बैठकर सुलझाएं। हम सभी भारतीय हैं और एक परिवार की ही तरह हैं।