
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस मसले पर सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। किसान संगठन लगातार कृषि कानून को खत्म किए जाने की मांग कर रहे है तो सरकार इन कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है। लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार किसानों से वार्ता कर इन कानूनों में संशोधन करने पर जोर दे रही है और सरकार इस मसले को सुलझाने में पूरी कोशिश कर रही है। अब तक आंदोलन कर रहे किसानों के साथ पांच दौर की वार्ता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कोई ठोस हल नहीं निकाल सकी है। जहां किसान सरकार के लिखित प्रस्ताव को भी मानने को तैयार नहीं है, वहीं केंद्र सरकार इस स्थिति में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलन कर रहे किसानों के साथ देश की जनता से एक खास अपील करते हुए ट्वीट किया।
मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें-https://t.co/B9GwPf5i3K
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2020
पीएम मोदी ने आज सुबह एक ट्वीट किया, जिसमें गुरुवार को कृषि मंत्री द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया गया है। ट्वीट में पीएम मोदी ने लोगों से उन्हें सुनने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में लिखा, ‘मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है, इसे जरूर सुनें।’
बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कृषि कानूनों पर विस्तार से सरकार का रुख स्पष्ट किया। खाद्य, रेलवे और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि वह अब भी वार्ता के जरिए समधान निकलने को लेकर आशान्वित हैं। कृषि मंत्री ने कहा, ‘सरकार किसानों से आगे और वार्ता करने को इच्छुक और तैयार है.. उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए, हमने किसान यूनियनों को अपने प्रस्ताव भेजे हैं। हमारी उनसे अपील है कि वे जितना जल्द से जल्द संभव हो वार्ता की तिथि तय करें, अगर उनका कोई मुद्दा है, तो उस पर सरकार उनसे वार्ता को तैयार है।’
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जब वार्ता चल रही हो तो वे आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करने के बजाय किसान संगठनों को वार्ता की मेज पर बैठना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमने किसानों को उनसे मिलने के बाद अपने प्रस्ताव दिए और इसलिए हम उनसे उन पर विचार करने का आग्रह करते हैं। यदि वे उन प्रस्तावों पर भी चर्चा करना चाहते हैं, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध के पीछे कोई और शक्तियां मौजूद हैं, तोमर ने इस प्रश्न का कोई सीधा जवाब नहीं दिया और कहा, ‘मीडिया की आंखें तेज हैं और हम इसका पता लगाने का काम उस पर छोड़ते हैं।’
केंद्र सरकार ने द्वारा बीते सितंबर महीने में तीन नए कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लागू किए। हालांकि अध्यादेश के जरिए इन तीनों कानूनों को जून में ही लागू किया गया था। सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 में संशोधन को लेकर किसान नेताओं के पास बुधवार को प्रस्ताव भेजा, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है। किसान नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करते हुए 12 दिसंबर को देशभर में सड़कों पर लग रहे टोल को फ्री करवाने के अलावा 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।