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अफगानिस्तान में महिला टीवी एंकर की गोली मारकर हत्या, तालिबान पर शक

वैश्विक स्तर पर बहुत से संगठन महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे हैं और कुछ देश महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बेहतरीन माहौल तैयार करने में लगे हैं। किंतु रूढ़िवादी विचारधारा के चलते अभी भी कुछ देश ऐसे हैं जो महिलाओं की तरक्की को पसंद नहीं करते हैं। महिलाओं की मुखर होती आवाज से आतंकी बौखलाए हुए हैं। अफगानिस्तान में महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली टीवी एंकर मलाला माएवंद की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक, ये घटना उस वक्त हुई जब मलाला अफगानिस्तान के पूर्वी नांगरहार प्रांत में स्थित अपने घर से निकल रही थीं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

अपने गलत इरादों को लेकर घात लगाए बैठे आतंकियों ने मौका मिलते ही उन्हें गोली मार दी। अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई। फिलहाल किसी भी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। बताया जा रहा है कि इस हमले में महिला पत्रकार मलाला का ड्राइवर भी मारा गया।

गौरतलब है कि इस्लामिक स्टेट से संबद्ध एक आतंकवादी का मुख्यालय पूर्वी अफगानिस्तान में हैं और अफगानिस्तान में आम नागरिकों पर हुए हालिया हमलों में से ज्यादातर की जिम्मेदारी उसने ली है। इस क्षेत्र में तालिबान की भी मौजूदगी है। टीवी और रेडियो उद्घोषक के रूप में कार्य करने के साथ ही मैवंद एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं और अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की वकालत करती थीं। अफगानिस्तान में नवंबर के मध्य से 2 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। मिवंद से पहले 12 नवंबर को हेलमंद प्रांत में बम विस्फोट में एक अन्य पत्रकार एलिस डेई की मौत हो गई थी।

संयुक्त राष्ट्र मिशन के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2009 से अफगानिस्तान में सशस्त्र संघर्ष में 35,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए हैं और लगभग 65,000 घायल हुए हैं। अफगानिस्‍तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने एक दिन पहले ही देश की हाई काउंसिल फॉर लेशनल रिकंसिलिएशन (एचसीएनआर) की पहली बैठक का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्‍होंने तालिबान से देशव्यापी युद्धविराम का पालन करने के लिए आह्वान किया जिसे आतंकी समूह ने मानने से इनकार कर दिया। बैठक को संबोधित करते हुए, एचसीएनआर के अध्यक्ष, अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि अफगान लोगों को पहले से कहीं अधिक राजनीतिक एकता और एक जरूरी समावेशी संघर्ष विराम की सख्त जरूरत है।

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