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प्रसिद्ध लेखक और कवि मंगलेश डबराल का 72 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट से हुआ निधन

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और कवि मंगलेश डबराल का बुधवार को कार्डियक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। बताया जा रहा है कि उनकी हालत पिछले कुछ दिनों से नाजुक बनी हुई थी। एम्स में भर्ती कवि और लेखक ने अंतिम सांस ली। उत्तराखंड के मूल निवासी रहे मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। उनका जन्म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल, के काफलपानी गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई थी।
कवि लेखक चिंतक पत्रकार मंगलेश डबराल जी के असमय निधन की सूचना से स्तब्ध हूँ। जनपक्षधरता के साथ ही सरलता और मृदुभाषी छवि के लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा। श्रद्धांजलि।
— Manish Sisodia (@msisodia) December 9, 2020
लेखक और कवि मंगलेश डबराल के आकस्मिक निधन पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए ट्वीट किया, ‘कवि लेखक चिंतक पत्रकार मंगलेश डबराल जी के असमय निधन की सूचना से स्तब्ध हूं, जनपक्षधरता के साथ ही सरलता और मृदुभाषी छवि के लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा।’
दुखद ख़बर!
यशस्वी कवि मंगलेश डबराल नहीं रहे…हमारी स्मृतियों और अपने शब्दों में वे हमेशा रहेंगे…
राजकमल प्रकाशन समूह दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और पाठकों-प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता है।
श्रद्धांजलि 💐 pic.twitter.com/rwZIFNaf9B
— Rajkamal Prakashan 📚 (@RajkamalBooks) December 9, 2020
भोपाल में वह मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित होने वाले साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। वर्ष 1963 में उन्होंने जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद संभाला। उसके बाद कुछ समय तक वह सहारा समय में संपादन कार्य में लगे रहे। आजकल वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे। मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह (पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु) प्रकाशित हुए हैं।