
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने लोकतंत्र को लेकर एक अजीब बयान दिया है जिससे हर कोई हैरान है। अमिताभ कांत ने आज मंगलवार को कहा कि भारत में कड़े सुधारों को लागू करना कठिन होता है, क्योंकि यहां काफी अधिक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पहली बार खनन, कोयला, श्रम, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कड़े सुधारों को आगे बढ़ाया है और अब राज्यों को सुधारों के अगले चरण को आगे बढ़ाना चाहिए। कांत ने एक पत्रिका के कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए यह बात कही।
नीति आयोग के CEO के लोकतंत्र को लेकर दिए गए इस बयान को लेकर ट्विटर पर विरोध शुरू हो गया। जिस अखबार ने इस खबर को ट्वीट किया था, उसे रीट्ववीट करके लोग सवाल पूछने लग गए। कुछ ही देर में अमिताभ कांत ने उस खबर को कोट करते हुए ट्वीट किया और कहा, ‘मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। मैंने MEIS स्कीम और संसाधनों के असमान बंटवारे और दुनिया भर के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से प्रतिस्पर्धा को लेकर अपने विचार रखे थे।’
This is definitely not what I said. I was speaking about MEIS scheme & resources being spread thin & need for creating global champions in manufacturing sector. https://t.co/6eugmtoinB
— Amitabh Kant (@amitabhk87) December 8, 2020
कांत ने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘भारत में खनन, कोयला, श्रम, कृषि आदि क्षेत्रों के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और अभी भी कई ऐसे सुधार हैं, जिन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। मौजूदा सरकार ने कड़े सुधारों को लागू करने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखायी है।’ अमिताभ कांत ने साथ ही यह भी कहा कि हम कड़े सुधारों के बगैर चीन के साथ आसानी से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। अगले दौर का सुधार अब राज्यों की तरफ से किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘यदि 10-12 राज्य उच्च दर से ग्रोथ करेंगे, तो स्वत: ही भारत उच्च दर से ग्रोथ करेगा। हमने केंद्र शासित प्रदेशों से वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिये कहा है। वितरण कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी होना चाहिए और सस्ती बिजली उपलब्ध करानी चाहिए।’
कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारों पर चर्चा करते हुए कांत ने कहा, ‘हमें यह समझना जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था जारी रहेगी, मंडियों में भी पूर्व की भांति काम होता रहेगा। किसानों के पास अपनी पसंद के हिसाब से अपनी फसल बेचने का विकल्प होना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें ही लाभ होगा।
बता दें कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का लोकतंत्र को लेकर दिया गया बयान नई मुश्किल खड़ी कर सकता है। उनके सफाई देने के बावजूद ट्विटर पर लोग वह वीडियो शेयर कर रहे हैं, जिसमें वह we are too much of democracy बोलते साफ दिखाई दे रहे हैं।