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ICMR का बयान-देश में सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगेगी, केंद्र सरकार ने जताई सहमति

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से सारा विश्व प्रभावित है और हर कोई अपने जीवन को विस्तार देने से पहले वैक्सीन के आने का इंतजार कर रहा है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने कभी नहीं कहा है कि पूरी जनसंख्या को टीका लगाया जाएगा। सिर्फ उतनी ही आबादी का टीकाकरण किया जाएगा, जिससे कोरोना संक्रमण की कड़ी टूट जाए। सरकार ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन के ट्रायल को भी जारी रखने की बात कही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा, ‘मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी नहीं कहा है कि पूरे देश का टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता पर निर्भर करेगा। हमारा उद्देश्य कोविड-19 संक्रमण की कड़ी को तोड़ना है। अगर हम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन देने में सफल होते हैं और संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में सफल होते हैं तो पूरी आबादी के टीकाकरण की जरूरत ही नहीं होगी।’
#WATCH "Govt has never spoken about vaccinating the entire country," says Health Secretary Rajesh Bhushan
"If we're able to vaccinate critical mass of people & break virus transmission, then we may not have to vaccinate the entire population," ICMR DG Dr Balram Bhargava added. https://t.co/HKbssjATjH pic.twitter.com/egEB1TAiC9
— ANI (@ANI) December 1, 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा परीक्षण के दौरान सामने आए ‘अप्रिय चिकित्सा घटना’ की जांच भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि घटना और उन्हें दिए गए डोज के बीच कोई संबंध है। पिछले हफ्ते चेन्नई में ‘‘कोविशील्ड” टीके के परीक्षण के तीसरे चरण में 40 वर्षीय एक व्यक्ति ने गंभीर दुष्प्रभाव की शिकायतें कीं जिसमें तंत्रिका तंत्र में खराबी आना और बोध संबंधी दिक्कतें पैदा होना शामिल हैं। उसने परीक्षण को रोकने की मांग करने के अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) एवं अन्य से पांच करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा है।
केंद्र सरकार ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले तमिलनाडु के एक शख्स पर कथित दुष्प्रभाव से वैक्सीन की टाइमलाइन प्रभावित होने की आशंका को खारिज किया है। हेल्थ सेक्रटरी राजेश भूषण ने कहा कि इससे टाइमलाइन प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जब भी क्लीनिकल ट्रायल स्टार्ट होते हैं तो जो वॉलंटियर इसमें हिस्सा लेते हैं वे पहले ही एक सहमति पत्र पर दश्तखत करते हैं। पूरी दुनिया में यही होता है। फॉर्म में वॉलंटियर को बताया जाता है कि ट्रायल में कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
हेल्थ सेक्रटरी राजेश भूषण ने बताया, ‘डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड भी डे टु डे आधार पर क्लीनिकल ट्रायल्स की निगरानी कर रहा है और किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स पर नजर रखता है। कहीं कोई साइडइफेक्ट की बात होती है तो उसे दर्ज किया जाता है। ड्रग कंट्रोलर जनरल सभी रिपोर्ट्स का विश्लेषण करते हैं और यह पता लगाते हैं कि जो दुष्प्रभाव दिखे हैं वे वाकई वैक्सीन की वजह से हैं या नहीं।’
भारत में पांच दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने का काम कर रही हैं, जिसमें से दो भारत द्वारा विकसित वैक्सीन बना रही हैं जबकि तीन विदेशी सहयोग से वैक्सीन तैयार कर रही हैं, लेकिन टीके कोरोना को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। हमें स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। प्रोफेसर भार्गव ने कहा, वैक्सीन आने के बाद भी कोविड-19 के दिशा-निर्देश बने रहेंगे और मास्क की जरूरत बनी रहेगी।