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दिल्ली में रेलवे ट्रैक के किनारे से 48 हजार झुग्गियां फिलहाल नहीं हटाई जाएंगी, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

देश की राजधानी नई दिल्ली में रेलवे ट्रैक के आसपास की जमीन पर बसी 48 हजार झुग्गियों में रहनेवाले लोगों को केंद्र सरकार द्वारा बड़ी राहत दी गई है जिसमें कहा गया है कि अभी झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि इस मामले में फैसले के लिए और वक्त चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 4 हफ्ते का समय देते हुए सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित कर दी।

रेलवे ट्रैक के किनारे बसाई गई झुग्गियों की प्रतीकात्मक तस्वीर

सुप्रीम कोर्ट को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 48 हजार झुग्गियां, जो रेलवे ट्रैक के किनारे हैं, उन्हें अभी नहीं हटा सकते हैं। इस मामले में केंद्र सरकार विचार कर रही है। तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली सरकार, रेलवे और शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी एकसाथ मिलकर बैठक में समाधान निकालेंगे और तब तक झुग्गियां नहीं हटाई जाएंगी। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में फैसले के लिए और वक्त दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि हम भरोसा दिलाते हैं इस दौरान झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा। गौरतलब है कि 13 सितंबर को पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 48 हजार झुग्गियों को हटाने का कोई भी आखिरी फैसला अभी सरकार ने नहीं लिया है।

इस मामले में कांग्रेसी नेता अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि रेलवे ट्रैक के आसपास बसी 48,000 झुग्गियों को हटाने से पहले वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। माकन ने अपनी अर्जी में कहा है कि झुग्गी में रहने वाले लोगों का पक्ष नहीं सुना जा सका और ऐसे में नेचुरल जस्टिस का पालन नहीं हुआ। कोरोना काल में अगर इन लोगों को बेघर किया गया, तो बड़ी त्रासदी हो सकती है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को नई दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोंपड़ियों को हटाने का आदेश दिया था। साथ ही यह निर्देश भी दिया था कि कोई भी निचली अदालत झुग्गी-झोंपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे न दे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में यदि कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो यह प्रभावी नहीं होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि इस मामले में किसी भी तरह से राजनीतिक दखल नहीं होना चाहिए।

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