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प्राइवेट स्कूल संचालकों ने शिक्षा मंत्री को भेजा 10 करोड़ रुपए के मानहानि का नोटिस, ‘धंधा’ शब्द को लेकर जताई आपत्ति

कोरोनाकाल में पूरे देश में जहां निजी स्कूलों और राज्य सरकारों के बीच फीस जमा करने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है। वहीं अब राजस्थान में निजी स्कूल संचालक और प्रदेश के शिक्षा मंत्री आमने- सामने हो गए हैं। बताया जा रहा है कि निजी स्कूलों के संगठन ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के एक बयान से नाराजगी जताई है। इसके तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्कूल एसोसिएशन (निसा) ने शिक्षामंत्री डोटासरा को 10 करोड़ की मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है। आरोप है कि पिछले दिनों शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा की ओर से निजी शिक्षण संस्थाओं को कथित तौर पर ‘धंधा’ कहा था, जिस पर आपत्ति जताते हुए ये कानूनी नोटिस उन्हें भेजा गया है।

प्राइवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि जयपुर में शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए 33 जिलों से आए हुए 300 से अधिक पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है कि यदि 22 नवंबर तक सरकार द्वारा समस्या का कोई समाधान नहीं किया जाता है और वार्ता के लिए नहीं बुलाया जाता है तो शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में प्राइवेट स्कूल संचालकों व शिक्षकों द्वारा बड़ी तादाद में महापड़ाव किया जाएगा। शिक्षा मंत्री के सीकर लक्ष्मणगढ़ स्थित आवास के बाहर महापड़ाव के साथ ही धरना दिया जाएगा।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

इस पूरे घटनाक्रम पर निजी स्कूलों के अधिवक्ता का कहना है कि पिछले दिनों एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान शिक्षा मंत्री डोटासरा ने स्कूल संचालकों के लिए ‘धंधा’ शब्द का उपयोग किया था। एक बार नहीं कई बार ये शब्द प्रयोग में लिया गया। इससे निजी स्कूल संचालकों की समाज में छवि खराब होती है। जानकारी के मुताबिक, नोटिस में लिखा गया है कि 15 दिन के भीतर शिक्षा मंत्री इस शब्द के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।

इस मामले में जब प्रदेश के शिक्षा मंत्री से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने नोटिस नहीं मिलने की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल में केवल अधिक फीस वसूली के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन कक्षाओं को भी बंद कर दिया है, जो की कतई जायज नहीं है। उन्होंने स्कूल संचालकों के आमरण अनशन करने को भी अनुचित बताया और कहा की यदि किसी को कोई आपत्ति है तो सरकार से बातचीत के लिए आगे आना चाहिए।

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