
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राजस्थान के पाली में शांति प्रतिमा का अनावरण किया। बता दें कि जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती समारोह के अवसर पर ‘शांति की प्रतिमा (Satue of Peace) का अनावरण किया गया है। 151 इंच ऊंची अष्टधातु प्रतिमा विजय वल्लभ साधना केंद्र, जैतपुरा में स्थापित की गई है।
इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी का समय हमारी एकजुटता के लिए कसौटी भरा रहा और देश इस कसौटी पर खरा उतरा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा- ‘स्टैच्यू ऑफ पीस विश्व में शांति, अहिंसा और सेवा का प्रेरणा स्रोत बनेगी। भारत ने हमेशा पूरे विश्व को, मानवता को, शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। ये वो संदेश हैं जिनकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है।’
Prime Minister Narendra Modi unveils the ‘Statue of Peace’ in Pali, Rajasthan to mark the 151st Jayanti celebrations of Jainacharya Shree Vijay Vallabh Surishwer Ji Maharaj, via video link. pic.twitter.com/oKyJyiMvl7
— ANI (@ANI) November 16, 2020
पीएम मोदी ने आगे कहा- ‘मेरा सौभाग्य है कि मुझे देश ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण का अवसर दिया था। जन्मवर्ष महोत्सव के माध्यम से जहां एक तरफ भगवान श्री महावीर स्वामी के अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों को प्रसारित किया जा रहा है। साथ ही गुरु वल्लभ के संदेशों को भी जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।’ ”आज 21वीं सदी में मैं आचार्यों, संतों से एक आग्रह करना चाहता हूं कि जिस प्रकार आजादी के आंदोलन की पीठिका भक्ति आंदोलन से शुरू हुई। वैसे ही आत्मनिर्भर भारत की पीठिका तैयार करने का काम संतों, आचार्यों, महंतों का है। महापुरुषों और संतों का विचार इसलिए अमर होता है, क्योंकि वो जो बताते हैं, वही अपने जीवन में जीते हैं।’
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने कहा, ‘आचार्य विजय वल्लभ जी कहते थे कि साधु, महात्माओं का कर्तव्य है कि वो अज्ञान, कलह, बेगारी, आलस, व्यसन और समाज के बुरे रीति रिवाजों को दूर करने के लिए प्रयत्न करें।’ मोदी ने कहा, ‘आचार्य विजयवल्लभ जी का जीवन हर जीव के लिए दया, करुणा और प्रेम से ओत-प्रोत था। उनके आशीर्वाद से आज जीवदया के लिए पक्षी हॉस्पिटल और अनेक गौशालाएं देश में चल रहीं हैं। आज देश आचार्य विजय वल्लभ जी के उन्हीं मानवीय मूल्यों को मजबूत कर रहा है, जिनके लिए उन्होंने खुद को समर्पित किया।’
बता दें कि 151 इंच की अष्ट धातु से बनी मूर्ति जमीन से 27 फिट ऊंची है। इसका वजन 1300 किलो है। इस मूर्ति का नाम ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ है। लोकार्पण के बाद गुरुदेव के बहुत सारे चमत्कारों का एक प्रेजेंटेशन भी दिखाया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आचार्य जी के शिक्षण संस्थान आज एक उपवन की तरह हैं। 100 सालों से अधिक की इस यात्रा में कितने ही प्रतिभाशाली युवा इन संस्थानों से निकले हैं। स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में इन संस्थानों ने जो योगदान दिया है, देश आज उसका ऋणी है।’ विदित हो कि देश मे दो वल्लभ हुए और दोनों गुजरात से हैं। एक सरदार वल्लभ भाई पटेल और दूसरे वल्लभ सूरी सुरेश्वरजी हैं। दोनों की मूर्ति का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।
LIVE: PM @narendramodi unveils statue of Jaincharya Shri Vijay Vallabh Surishwer Ji Maharaj. https://t.co/QeQpIj6VOz
— BJP (@BJP4India) November 16, 2020
उल्लेखनीय है कि वल्लभ सूरीश्वरजी का जन्म गुजरात के बड़ोदा में विक्रम संवत 1870 में हुआ था। आजादी के समय खादी स्वदेशी आंदोलन में भी उनका बड़ा सहयोग रहा। आचार्यश्री खुद खादी पहनते थे। 1947 में देश विभाजन के समय आचार्यजी का पाकिस्तान के गुजरावाला में चातुर्मास था, उस समय सभी को हिंदुस्तान के लिए निकाला जा रहा था, तब जैनाचार्य ने कहा था कि जब तक एक भी जैन साहित्य, जैन मूर्ति, जैन लोग असुरक्षित हैं तब तक वो नहीं जाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने उनको भारत लाने के लिए विशेष विमान भेजा था,लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। आखिर सितंबर 1947 को पैदल विहार करते हुए अपने 250 अनुयायियों के साथ वह हिंदुस्तान पहुंचे। उन्होंने ने अपने साथ आए अनुयायियों के पुनर्वास सुनिश्चजित किया। साथ ही समाज के लिए शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत काम किया।